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दिल्ली में हुनर हाट की शुरूआत, कोरोना महामारी व्यापरियों के लिए चुनौती

पीतमपुरा के दिल्ली हाट में आयोजित हुनर हाट का उद्घाटन केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने किया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद थे।

पीतमपुरा के दिल्ली हाट में आयोजित हुनर हाट का उद्घाटन केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने किया।  इस दौरान केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद थे। नकवी ने इस दौरान कहा कि, “दस्तकारों का शानदार स्वदेशी उत्पाद ही ‘हुनर हाट’ की ‘लोकल शान’ और ‘ग्लोबल पहचान’ है। हालांकि हुनर हाट में विभिन्न राज्यों से आये व्यापारियों में उत्साह तो है लेकिन कोरोना महामारी की वजह से चुनौतियां भी महसूस कर रहे हैं। 
‘हुनर हाट’ 11 नवंबर से 22 नवंबर तक आयोजित किया गया है। इस ‘हुनर हाट’ में विभिन्न राज्यों से मिट्टी एवं मेटल से बने खिलौने, असम के ड्राई फ्लावर्स, आंध्र प्रदेश के पोचमपल्ली इक्कट, बिहार की मधुबनी पेंटिंग्स, दिल्ली की कैलीग्राफी पेंटिंग, गोवा से हैंड ब्लॉक प्रिंट, गुजरात से अजरख, जम्मू-कश्मीर से पश्मीना शाल, झारखण्ड से तुसार सिल्क और बेंत-बांस से निर्मित उत्पाद, कर्नाटक से लकड़ी के खिलौने, मध्यप्रदेश से हर्बल उत्पाद, बाघ प्रिंट, बटिक, महाराष्ट्र से बांस से निर्मित उत्पाद, मणिपुर से हस्तनिर्मित खिलौने, उत्तर प्रदेश से लकड़ी एवं कांच के खिलौने, आयरन निर्मित खिलौने आदि प्रदर्शनी एवं बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। 
इसके अलावा यहां आने वाले लोग बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, हरियाणा आदि के लजीज पारम्परिक पकवानों का आनंद भी ले सकेंगे। इसके अलावा देश के जाने-माने कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आकर्षण का केंद्र हैं। हुनर हाट में मणिपुर निवासी लालनेकीम किपगेम ब्लैक पॉटरी का पिछले 6 सालों से व्यापार कर रही हैं और दूसरी बार हुनर हाट में शामिल हुई हैं। उन्होंने बताया, “कोरोना महामारी की वजह से हुनर हाट में उतनी भीड़ नहीं है, जितनी होनी चाहिए। लेकिन अभी तक जितने भी ग्राहक आए हैं उनसे अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। हुनर हाट की तरफ से ऑनलाइन सुविधा भी दी गई है, जहां हम खुद को रजिस्टर करके ऑनलाइन सामान भी बेच सकते हैं।”
दरअसल ब्लैक पॉटरी के सामान में चाय पीने से उसका स्वाद अच्छा हो जाता है, वहीं यदि खाना परोस कर खाएं तो उसका स्वाद भी बढ़ जाता है। ब्लैक पॉटरी को बनाने के लिए सरप्राइन पत्थर की जरूरत होती है, जो कि मणिपुर में पाया जाता है, इस पत्थर को मिट्टी में तब्दील कर इसके बर्तन बनाये जाते हैं और इन बर्तनों या सामान को हम घरों में भी सजा सकते हैं। 
पीढ़ी दर पीढ़ी बनारसी साड़ियों का व्यापार करने वाले सरफराज आलम ने भी अपनी दुकान इस बार हुनर हाट में लगाई है। हालांकि उनसे बात करने पर पता चला कि कोरोना महामारी और आगामी त्योहार की वजह से लोगों की भीड़ कम है। लेकिन भविष्य में अच्छे व्यापार की उम्मीद भी कर रहे हैं। 
सरफराज आलम ने बताया, “हुनर हाट को एक दिन हुआ है, वहीं आज दूसरा दिन है लेकिन आज धनतेरस भी है। फिलहाल भीड़ कम है। लोग आकर साड़ियां देख रहे हैं, लेकिन खरीद नहीं रहे, जिसकी वजह से थोड़ी चिंता है।””करीब 8 महीने बाद हुनर हाट का आयोजन हुआ है, पिछ्ली बार इंडिया गेट पर हुनर हाट आयोजित हुआ था। उन्होंने आगे बताया, “मेरे पिताजी और दादाजी बनारसी साड़ियां बनाते हैं और हम बेचते हैं ये हमारा पुश्तैनी व्यापार है।”दरअस्ल बुधवार को केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस हुनर हाट का उद्घाटन किया था। उन्होंने बताया कि, “कोरोना की चुनौतियों के चलते लगभग 7 महीनों के बाद ‘हुनर हाट’ का आयोजन होने से देश के लाखों स्वदेशी दस्तकारों, शिल्पकारों में उत्साह और खुशी का माहौल है।”
उन्होंने बताया, ‘हुनर हाट’, ‘लोकल के लिए वोकल’ के संकल्प के साथ देश के दस्तकारों, शिल्पकारों के स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को मजबूत करने का प्रभावी प्लेटफार्म साबित हो रहा है। वहीं दिल्ली हाट, पीतमपुरा में ‘हुनर हाट’ में माटी, मेटल और मचिया (लकड़ी-जूट के सामान) के उत्पाद प्रमुख आकर्षण का केंद्र हैं।”
इस ‘हुनर हाट’ में लोगों को लुभाने के लिए अनेक तरह की कलाकृति मौजूद हैं। मिट्टी से बने अद्भुत खिलौने एवं अन्य आकर्षक उत्पाद, कुम्हार कला की जादूगरी, मेटल से बने विभिन्न उत्पाद और देश के कोने-कोने से लकड़ी, जूट, बेंत-बांस से बने दुर्लभ हस्तनिर्मित उत्पाद प्रदर्शनी में बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। 
दरअसल देश के हर क्षेत्र में देशी उत्पादन की बहुत पुरानी और पुश्तैनी परंपरा रही है, जो कि धीरे धीरे लुप्त हो रही थी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहित करने के आह्वाहन ने भारत के स्वदेशी उद्योग में नई जान डाल दी है। नकवी ने इस दौरान बताया कि, ‘देश का हर क्षेत्र, लकड़ी, ब्रास, बांस, शीशे, कपड़े, कागज, मिट्टी के शानदार उत्पाद बनाने वाले ‘हुनर के उस्तादों’ से भरपूर है। इनके इस शानदार स्वदेशी उत्पादन को मौका मुहैया कराने के लिए ‘हुनर हाट’ बड़ा प्लेटफार्म है। स्वदेशी उत्पादों की लुभाने वाली पैकेजिंग के लिए भी विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से दस्तकारों-शिल्पकारों की मदद की जा रही है।”
कोरोना की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए ‘हुनर हाट’ में सोशल डिस्टेंसिंग एवं अन्य दिशानिर्देशों का पूरी मुस्तैदी से पालन किया जा रहा है। वहीं आने वाले दिनों में ‘हुनर हाट’ का आयोजन जयपुर, चंडीगढ़, इंदौर, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ, दिल्ली (इंडिया गेट), रांची, कोटा, सूरत, अहमदाबाद में होगा। 

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