उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को लेकर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने ब्राह्मण वोटों को हासिल करने के लिए (ब्राह्मण सम्मेलनों का) सियासी दांव खेला है। बीएसपी के ब्राह्मण सम्मेलनों को मिल रही उत्साहजनक प्रतिक्रिया पर बीएसपी प्रमुख मायावती गदगद हैं। वहीं प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बीएसपी के ब्राह्णों तक पहुंच बनाने की कोशिश पर निशाना साधा है।
उपमुख्यमंत्री मौर्य ने बीएसपी या व्यक्ति का नाम लिए बिना कहा, “जो लोग केवल मंदिरों को देखकर मुंह फेर लेते थे और हिंदू धर्म का तिरस्कार करते थे, वे अब मंदिरों में जाकर हिंदू भक्त होने का दावा कर रहे हैं। आने वाले दिन बताएंगे कि इसका क्या होगा प्रभाव होगा।”
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उन्होंने आगे कहा कि राज्य के लोग अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले ‘ऐसी पार्टियों’ द्वारा की गई गतिविधियों से अच्छी तरह वाकिफ हैं और कहा कि मतदाता उन्हें 2022 के अगले चुनाव में करारा जवाब देंगे। उन्होंने कहा, “बीजेपी ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ में विश्वास करती है, जबकि ये लोग राजनीतिक अवसरवादी हैं।”
पार्टी के ब्राह्मण सम्मेलनों का नेतृत्व कर रहे बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा को प्रयागराज में गंगा आरती के दौरान एक कुर्सी पर बैठे देखा गया था। इसपर टिप्पणी करते हुए मौर्य ने कहा, “कभी-कभी, जब हम किसी धार्मिक स्थान पर जाते हैं और इस बारे में अनभिज्ञ होते हैं तो वहां के पुजारियों के निर्देशों के अनुसार कार्य करना बेहतर है। धार्मिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन करना एक धर्म का अपमान करने के बराबर है।”