ओल्ड पेंशन स्कीम राज्य दर राज्य कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी का काम कर रहा है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत के पीछे बड़ा कारण इसी ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने के वादे को माना जाता है। हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने के बाद अपने वादे के मुताबिक कांग्रेस ने इसे इस पहाड़ी राज्य में लागू भी कर दिया है। वहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़, जहां वर्तमान में कांग्रेस की सरकारें हैं और जिन दोनों राज्यों में इस वर्ष के अंत तक विधानसभा का चुनाव होना है वहां भी कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों ने इस पुरानी पेंशन स्कीम को लागू कर दिया है।
भाजपा की दुविधा भी बढ़ती जा रही है
ओल्ड पेंशन स्कीम के महत्व को समझते हुए कांग्रेस ने इसे कर्नाटक के अपने चुनाव घोषणा पत्र में भी शामिल किया है। कांग्रेस ने कर्नाटक की सत्ता में आने के बाद राज्य में ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने का वादा किया है। कांग्रेस की इस रणनीति से भाजपा की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। यह बिल्कुल साफ तौर पर नजर आ रहा है कि कांग्रेस 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव तक देशभर में इसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है और इसी के साथ भाजपा की दुविधा भी बढ़ती जा रही है।
कांग्रेस के दावों पर भरोसा नहीं किया जा सकता
ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कांग्रेस के वादे पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस की मंशा पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र में दस साल तक इनकी सरकार रही (कांग्रेस के नेतृत्व वाली मनमोहन सिंह सरकार) लेकिन इन्होंने उस दौरान (ओल्ड पेंशन स्कीम) लागू नहीं किया इसलिए पुरानी पेंशन योजना को लेकर कांग्रेस के जितने भी दावे हैं, उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ये इतने वर्षों तक केंद्र की सत्ता में रहे, कई जगह सत्ता में रहे लेकिन उन्होंने उस समय कुछ नहीं किया इसलिए उनकी किसी बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
भाजपा को राजनीतिक रूप से बखूबी अहसास
भाजपा की केंद्र सरकार की तरफ से भी यह स्पष्ट किया जा चुका है कि अब देश में ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से लागू नहीं किया जाएगा और पुरानी पेंशन योजना की तरफ वापसी का सरकार का कोई इरादा नहीं है। लेकिन भाजपा को चुनाव भी लड़ना है और इसलिए सरकार इस मुद्दे के महत्व को भी बखूबी समझ रही है। भाजपा को राजनीतिक रूप से इसका बखूबी अहसास है कि अगर पेंशन के मुद्दे को सही ढंग से डील नहीं किया गया तो मध्य प्रदेश में वापसी में मुश्किलें आ सकती हैं और राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस को हराने में दिकक्तों का सामना करना पड़ सकता है। सूत्रों की मानें तो पार्टी की तरफ से लगातार इस तरह का फीडबैक सरकार के साथ साझा भी किया जा रहा है।