बिहार के मोकामा में सरकार द्वारा वित्तपोषित एक आश्रय गृह से सात नाबालिग लड़कियां शनिवार सुबह खिड़की की ग्रिल काटकर भाग गईं। एक अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी है। बताया जाता है कि इन सात लड़कियों में से पांच इससे पहले मुजफ्फरपुर के उसी आश्रय गृह में रहती थीं, जहां यौन उत्पीड़न का मामला उजागर हुआ था।
विपक्षी दलों ने बिहार में राजग सरकार की आलोचना करते हुए कहा आरोप लगाया कि ये पांचों लड़कियां उच्चतम न्यायालय की निगरानी में सीबीआई द्वारा यौन उत्पीड़न कांड की जांच में गवाह हैं। उन्होंने दावा किया कि उनका गायब होना एक ‘‘साजिश’’ है जिसे सत्तारूढ़ पार्टी ने ‘‘सत्ताधारियों’’ को बचाने के लिये रचा है।
समाज कल्याण विभाग के निदेशक राज कुमार ने बताया, ‘‘मोकामा स्थित आश्रय गृह से शनिवार तड़के तीन बजे से साढ़े तीन बजे के बीच सात नाबालिग लड़कियां एक खिड़की की ग्रिल तोड़कर भाग गईं। यहां उनके हिंसक व्यवहार को सुधारने की कवायद चल रही थी।’’
उन्होंने कहा कि अभी यह पता लगाया जाना बाकी है कि क्या इन लड़कियों में मुजफ्फरपुर बालिका गृह की लड़कियां भी थीं।
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राजधानी पटना से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आश्रय गृह से फरार हुई लड़कियों को पता लगाने के लिये श्वान दस्ते और फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।
इस बीच विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, ‘‘मुख्यमंत्री समेत पूरे तंत्र को बचाने के लिए मुजफ्फरपुर बलात्कार कांड की पांच गवाह लड़कियां मोकामा शेल्टर होम से ग़ायब की गयीं। भगवान इन अनाथ बच्चियों को दरिंदों से बचाए। काले पाप से किए काले मुँह को बचाने के लिए सत्ताधारियों को क्या-क्या नहीं करना पड़ रहा है?’’
यादव की मां और विधान परिषद में विपक्ष की नेता राबड़ी देवी ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह बताना चाहिए कि वह इतने डरे हुए क्यों हैं।’’
रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने इस घटना पर नीतीश कुमार सरकार की निंदा की है। कांग्रेस विधान पार्षद प्रेम चंद्र मिश्रा ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि मुजफ्फरपुर मामले में कुछ लोगों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। उच्चतम न्यायालय को मोकामा से लड़कियों के गायब होने पर संज्ञान लेना चाहिए।’’