केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने पाकिस्तानी मूल की ब्रिटिश सांसद नाज शाह की भारत में कथित ‘इस्लामोफोबिया’ (इस्लाम के प्रति दुराग्रह) को लेकर की गई टिप्पणी पर पलटवार करते हुए शुक्रवार को कहा कि उन्हें ‘इंडिया फोबिया’ (भारत के प्रति दुराग्रह) के अपने पूर्वाग्रही एजेंडे को ‘इस्लामोफोबिया’ का रूप नहीं देना चाहिए। नाज शाह ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के भारत दौरे का हवाला देते हुए ट्वीट किया था कि जॉनसन को भारत में ‘इस्लामोफोबिया’ का मुद्दा नरेंद्र मोदी सरकार के समक्ष उठाना चाहिए।
ब्रिटिश सांसद को नकवी ने कही यह बात
नकवी ने उनके ट्वीट का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए कहा, ‘‘कृपया, ‘इंडिया फोबिया’ के अपने पूर्वाग्रही एजेंडे को ‘इस्लामोफोबिया’ का रूप मत दीजिए। भारत में अल्पसंख्यकों समेत सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित हैं। सह-अस्तित्व हमारी प्रतिबद्धता है और हमारी संस्कृति समावेशी है।’’
Please, don’t convert your prejudiced agenda of “India Phobia” into “Islamophobia”. Every Indian citizen including Minorities is safe and secure in India. “Co-existence” is our commitment and “Inclusivity” is our culture. 🙏🙏🙏 @NazShahBfd pic.twitter.com/yBpeHvzXfR
— Mukhtar Abbas Naqvi (@naqvimukhtar) April 22, 2022
बता दें कि नाज शाह ने अपने ट्वीट में कहा था,‘‘भारत दौरे पर पहुंचे बोरिस जॉनसन के लिए मेरा यह संदेश है कि हमारे राष्ट्र के विदेशी संबंध सिर्फ व्यापार और अंतरराष्ट्रीयतावाद पर आधारित नहीं होने चाहिए, बल्कि यह मानवाधिकारों पर भी आधारित होना चाहिए। प्रधानमंत्री कार्यालय (ब्रिटिश) से मेरा आग्रह है कि मोदी सरकार के साथ इस्लामोफोबिया का मुद्दा उठाया जाए।’’
ब्रिटिश सांसद ने उठाया हिजाब का मुद्दा
अपने ट्वीट में नाज शाह ने यह भी कहा कि कर्नाटक में अदालत ने राज्य सरकार के एक आदेश को भी बरकरार रखा, जिसमें कक्षाओं में हेडस्कार्फ़ (हिजाब) पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। नाज शाह ने ट्विटर पर जॉनसन को यह बताने के लिए ट्वीट किया कि यूके के विदेशी संबंध न केवल व्यापार और अंतर्राष्ट्रीयता पर बल्कि मानवाधिकारों पर भी आधारित होने चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत में मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों को अपने धर्म और शिक्षा के बीच चयन करने के लिए कहा जा रहा है।