केंद्र की मोदी सरकार में विदेश मंत्री एस. जयशंकर काफी मजबूत रणनीतिकार साबित हुए है। जयशंकर की शानदार विदेश नीतियों के चलते ही उन्हें भारत सरकार में विदेश मंत्री बनाया गया है। तो भारत के अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को अधिक प्रगाढ़ करने का कार्य जयशंकर बखूबी कर रहे है। इसी कड़ी में जयशंकर व्यापार और ऊर्जा क्षेत्रों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 10 से 13 अक्टूबर तक किर्गिस्तान, कजाकिस्तान और आर्मेनिया की यात्रा करेंगे।
कुछ इस प्रकार रहेगा यात्रा कार्यक्रम
विदेश मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, जयशंकर का पहला पड़ाव मतलब सबसे पहली यात्रा 10 से 11 अक्टूबर तक किर्गिस्तान का है। बता दें कि विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर का इस देश का पहला दौरा होगा। बयान में कहा गया है कि वह राष्ट्रपति सदिर जापारोव से मुलाकात करने के अलावा विदेश मंत्री रुस्लान कजाकबायेव के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। बयान में कहा गया है कि यात्रा के दौरान कुछ समझौतों और ज्ञापनों (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है।
11 से 12 अक्टूबर तक, जयशंकर नूर-सुल्तान में एशिया में बातचीत और विश्वास निर्माण उपायों के सम्मेलन की छठी मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने के लिए कजाकिस्तान में होंगे। कजाकिस्तान सीआईसीए फोरम का वर्तमान अध्यक्ष और इनिशिएटर है। जयशंकर के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने और कजाकिस्तान के नेतृत्व से मुलाकात करने की भी उम्मीद है। उनका अंतिम पड़ाव 12 से 13 अक्टूबर तक आर्मेनिया का होगा।
भारत के किसी विदेश मंत्री की यह पहली यात्रा होगी
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि स्वतंत्र आर्मेनिया के लिए भारत के किसी विदेश मंत्री की यह पहली यात्रा होगी। वह अपने अर्मेनियाई समकक्ष के साथ बैठक करेंगे और साथ ही प्रधानमंत्री और नेशनल असेंबली के अध्यक्ष से भी मुलाकात करेंगे। मंत्रालय के बयान के मुताबिक, यह यात्रा तीनों देशों के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा करने के साथ-साथ क्षेत्र के विकास पर विचारों को साझा करने का अवसर प्रदान करेगी। यह हमारे ‘विस्तारित पड़ोस’ में देशों के साथ हमारे बढ़ते जुड़ाव की निरंतरता होगी।