भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने अंतरराष्ट्रीय जिम्नास्टिक महासंघ (एफआईजी) को कड़ा पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय महासंघ के अध्यक्ष सुधाकर शेट्टी की खेल में कोई रुचि नहीं है और उन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं है कि अन्य अधिकारियों ने उनके ‘फर्जी’ हस्ताक्षर किए। बत्रा ने अपने पत्र में कहा कि भारतीय जिम्नास्टिक संघ में सब कुछ सही नहीं है और यह दिखाने का प्रयास किया गया कि कानूनी रूप से सब कुछ ठीक है।
आईओए प्रमुख ने साथ ही वैश्विक संस्था से अपील की कि वे जीएफआई के संचालन मुद्दे पर गौर करे। जीएफआई के चुनाव तीन नवंबर को होने हैं और पिछले कुछ समय से संस्था को गुटबाजी का सामना करना पड़ा है जिसमें विरोधी गुट ने देश में खेल के संचालन का अधिकार होने का दावा किया है। शेट्टी की अगुआई वाले गुट को एफआईजी से मान्यता हासिल है लेकिन खेल मंत्रालय और आईओए उसे मान्यता नहीं देता।
बत्रा ने एफआईजी अध्यक्ष मोरिनारी वतानाबे और महासचिव निकोलस बुओमपाने को लिखे पत्र में कहा, ‘‘12 महीने से भी अधिक समय पहले मुझे जीएफआई की स्थिति से अवगत कराया गया कि जीएफआई अध्यक्ष को बमुश्किल जानकारी है कि जीएफआई में क्या चल रहा है और उनके पास जीएफआई के लिए समय नहीं है।’’
आईओए प्रमुख ने अपने पत्र में लिखा, ‘‘मुझे सूचित किया गया है कि जीएफआई अध्यक्ष के नाम से भेजे गए पत्रों पर दीपक नाम के शख्स ने फर्जी दस्तखत किए हैं और उसके पास ईमेल के पासवर्ड भी हैं। एफआईजी और अन्य को भेजे ईमेल और पत्रों को भी वही भेजता है और पता चला था कि जीएफआई अध्यक्ष को शायद कई चीजों की जानकारी नहीं हो।’’
शेट्टी और बत्रा को एक अक्टूबर को भेजे पत्र में एफआईजी ने जीएफआई को तीन नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए आईओए प्रमुख से अपनी मतदाता सूची को स्वीकृत कराने को कहा था। बत्रा ने कहा कि उन्होंने टेलीफोन पर बात करते हुए शेट्टी से पूछा कि क्या उन्हें एक अक्टूबर के एफआईजी के पत्र की जानकारी है तो उन्होंने सात अक्टूबर को पत्र के जरिए जवाब देते हुए कहा कि पत्र (एक अक्टूबर के) में वैश्विक संस्था ने जिन शर्तों का जिक्र किया है उनका पालन करना जरूरी नहीं है।
बत्रा के 13 अक्टूबर को एफआईजी को लिखे पत्र के अनुसार, ‘‘शेट्टी ने मुझे साफ कहा कि उन्होंने एक अक्टूबर का एफआईजी का पत्र नहीं देखा है जिसमें एफआईजी चाहता है कि आईओए अध्यक्ष उनकी मतदाता सूची की पुष्टि करे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने जब पूछा कि उन्होंने अपने हस्ताक्षर वाला तीन पन्नों का पत्र सात अक्टूबर को एफआईजी को भेजा जिसमें कहा गया कि एफआईजी के एक अक्टूबर के पत्र की शर्तों को पूरा करने की जरूरत नहीं है।’’
बत्रा ने कहा, ‘‘शेट्टी ने मुझे पुष्टि की कि उन्होंने कोई पत्र नहीं देखा और हस्ताक्षर भी नहीं किए और ना ही एफआईजी को सात अक्टूबर को भेजे पत्र में इलेक्ट्रानिक हस्ताक्षर के लिए किसी को अधिकृत किया और पत्र में उनके जाली हस्ताक्षर हो सकते हैं।’’
बत्रा ने कहा कि शेट्टी ने पुष्टि की कि एक व्यक्ति फर्जी तरीके से उनके हस्ताक्षर कर रहा था और उन्होंने जीएफआई कार्यालय को उस व्यक्ति को सेवा से बर्खास्त करने को कहा है। आईओए प्रमुख साथ ही हैरान हैं कि मतदाता सूची में कैसे लगातार बदलाव होता रहा और अब इसमें 17 मतदाता शामिल हैं। इस मामले में प्रतिक्रिया के लिए शेट्टी उपलब्ध नहीं थे।