नई दिल्ली: देश के सिखों को अब केंद्र और राज्य की सरकारों से भरोसा उठ गया है, अब तो सिर्फ कानून पर ही भरोसा रह गया है। पिछले 33 सालों से यह मुद्दा सिर्फ वोट बैंक के लिए अलग-अलग पार्टियां उठाती आईं हैं। भाजपा के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि सिख कत्लेआम को कलंक के रूप में देखते हैं, इसे हम अपने खून से धोएंगे। लेकिन लगता है मौजूदा केंद्र और यूपी की सरकार ने उन वादों को भूला दिया है।
यह कहना है कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा के पूर्व अध्यक्ष अवतार सिंह हित का। उन्होंने कहा कि अब तक हम यह समझते थे कि कांग्रेस की सरकार आरोपियों को बचा रही है। लेकिन अब केंद्र और यूपी में भाजपा की सरकारें हैं, बावजूद इसके उन्हें इंसाफ के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है। अगर 11 दिसंबर तक सुप्रीम कोर्ट में दोनों सरकारें स्टेट्स रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाती है तो हमें आगे क्या कहना है यह गंभीरता से सोचना पड़ेगा।
वहीं, अखिल भारतीय दंगा पीड़ित राहत कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलदीप सिंह भोगल ने कहा कि कानपुर सिख नरसंहार से संबंधित जनहित याचिका जो उच्चतम न्यायालय में लंबित है। इस पर कोर्ट ने दोनों सरकारों से छह दिसंबर तक स्टेट्स रिपोर्ट मांगी थी। जिसपर यूपी सरकार ने कोर्ट से और दो हफ्ते का समय मांगा है। इससे साफ जाहिर है कि उक्त सरकारों की मंशा सही नहीं है। हम अपनी बातों आज भी अडिग हैं अगर सरकार से कोई संतोषजनक जवाब नहीं आता है तो हम बंगला साहिब में मत्था टेककर गृह मंत्रालय के बाहर आत्मदाह करने को मजबूर हो जाएंगे।
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