नई दिल्ली : कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी की अमेरिका यात्रा के अंत में दोनों देशों की ओर से जारी संयुक्त वक्तव्य को निराशानजनक बताते हुए आज कहा कि इसमें कई मुद्दों पर मतभिन्नता ज्यादा दिखाई देती है। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस की आलोचना को दरिकनार करते हुए कहा कि विश्व नेता और राजनीतिज्ञ के रूप में श्री मोदी के बढ़ते कद और विश्व समुदाय में भारत के बढ़ते प्रभाव को वह पचा नहीं पा रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में एच-1 बी वीजा का मुद्दा उठाते हुए कहा कि संयुक्त वक्तव्य में इसका कोई जिक्र नहीं किया गया है जबकि दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। इसके अलावा आतंकवाद के मामले में भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अलग रुख अपनाया और अपनी टिप्पणियों में उत्तर कोरिया का तो नाम लिया लेकिन पाकिस्तान का जिक्र करने तक से बचते रहे।
इस्लामी आतंकवाद की उनकी व्याख्या भी पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद की भारत की व्याख्या से बिलकुल अलग है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने कांग्रेस की इस आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि भाजपा के शासन से पहले दस वर्ष तक उसने भारत को ढीलीढाली विदेश नीति दी और अब जब विश्व नेता और राजनीतिज्ञ के रूप में श्री मोदी का रुतबा बढ़ रहा है और विश्व समुदाय में भारत का प्रभाव बढऩे लगा है तो यह बात उसे हजम नहीं हो रही है।
प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा और कल रात राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ उनकी बैठक पर कांग्रेस की निराशा को लेकर उन्हें कोई हैरानी नहीं हुई है। यह विपक्षी दल प्रधानमंत्री की यात्रा और पहली बार नये अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ हुई उनकी बैठक के महत्वपूर्ण नतीजों को देखना और मानना नहीं चाहता है। श्री नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री अपनी हर विदेश यात्रा में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दस साल के दौरान गंवाये अवसरों की जब बात करते हैं तो ईष्र्या और अपराधबोध के कारण कांग्रेस इस तरह की बातें करती है।
व्हाइट हाउस में हुए श्री मोदी के भव्य स्वागत का जिक्र करते हुए कहा कि इसीसे वैश्विक आर्थिक और भू राजनीतिक व्यवस्था में भारत के बढ़ते महत्व का पता लगता है। कांग्रेस खास तौर पर इस बात से निराश है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने पिछले तीन साल के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत के कार्यों को मान्यता दी और भ्रष्टाचार के विरुद्ध व्यापक संघर्ष का खास तौर पर उल्लेख किया।