देश में कोरोना के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। कोरोना से अबतक कुल 1486 लोग संक्रमित हो चुके हैं और कुल 41 लोगों की जान जा चुकी है। इस बीच देश के सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें कोविड 19 की जांच की मुफ्त सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की गई है। अधिवक्ता शशांक देव सुधी ने यह याचिका दायर की। इसमें अनुरोध किया गया है कि केंद्र और संबंधित प्राधिकारियों को कोविड-19 की जांच की मुफ्त सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाए।
याचिका में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के 17 मार्च के परामर्श पर सवाल उठाये गये हैं जिसमे निजी अस्पतालों और लैब मे कोविड-19 की जांच के लिये अधिकतम मूल्य 4500 रूपए निर्धारित किया गया है। याचिका में कहा गया है कि आम नागरिक के लिये सरकार अस्पताल या प्रयोगशाला मे कोविड-19 की जांच कराना बहुत ही मुश्किल काम है और इसका कोई अन्य विकल्प नहीं होने की वजह से लोगों को निजी अस्पतालों या प्रयोगशालाओं को जांच के लिये 4500 रूपए देने पड़ रहे हैं।
याचिको के अनुसार कोरोना वायरस का खतरा बहुत ही ज्यादा गंभीर है और इस महामारी पर अंकुश पाने के लिये जांच ही एकमात्र रास्ता है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस मामले में प्राधिकारी आम आदमी की समस्याओं के प्रति पूरी तरह संवेदनहीन है। आम आदमी पहले से ही लॉकडाउन की वजह से आर्थिक बोझ में दबा हुआ है।
याचिका में यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि कोविड-19 से संबंधित जांच एनएबीएल या आईसीएमआर से मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में की जाये। इसी तरह याचिका में कहा गया है कि आईसीएमआर को नियमित रूप से राष्ट्रीय टीवी चैनलों के माध्यम से जनता को कोरोना वायरस की स्थिति और इससे बचने के उपायों के बारे में जानकारी देने का भी निर्देश दिया जाये।