देहरादून : क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में डॉक्टरों की 25 दिसंबर से प्रस्तावित हड़ताल को देखते हुए सरकार ने एस्मा लगा दिया है। आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (एस्मा) लगने के बाद अब छह महीने के लिए चिकित्सक और अन्य चिकित्सा कर्मी हड़ताल नहीं कर सकते। इस संबंध में स्वास्थ्य सचिव नीतेश झा ने अधिसूचना भी जारी कर दी है।
एस्मा लगाने के साथ ही डीजी हेल्थ ने सभी सरकारी डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ, नर्सों व स्वास्थ्य कर्मचारियों की छुट्टियों पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है। इस संबंध मे स्वास्थ्य महानिदेशक ने राज्य के अस्पतालों के सभी मुख्यचिकित्सा अधिकारियों, मुख्यचिकित्सा अधीक्षकों, प्रभारी चिकित्सकों को पत्र प्रेषित कर दिया है।
बता दें कि निजी अस्पताल और डॉक्टर राज्य में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का विरोध कर रहे हैं। इसके विरोध में चिकित्सकों ने 25 दिसंबर से हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। लेकिन सरकार ने 25 दिसंबर को आयुष्मान भारत योजना की लांचिंग होने की वजह से एस्मा लगाने का फैसला लिया।
गौर हो कि प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के पदाधिकारियों को शासन ने वार्ता के बाद मना लिया था लेकिन निजी डॉक्टर ने आंदोलन स्थगित न करने का फैसला लिया है।
प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती नहीं होने से बढ़ेंगी मरीजों की परेशानी
क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट ऐक्ट के स्थान पर उत्तराखंड हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू करने की मांग को लेकर प्रदेशभर में निजी चिकित्सक ओपीडी में मरीजों को नहीं देखेंगे और न ही नए मरीजों को भर्ती किया जाएगा। डाक्टरों के मरीजों को भर्ती न किए जाने से मरीजों की दिक्कते बढ़ सकती हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के प्रदेश अध्यक्ष डा. बीएस जज और महासचिव डा. डीडी चौधरी ने बताया कि सरकार ने ही उन्हें उत्तराखंड हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट ऐक्ट का प्रस्ताव बनाकर देने के लिए कहा था। कई प्रस्ताव देने पर सरकार ने सहमति भी जताई, लेकिन अब सरकार इससे पीछे क्यों हट रही है। हम बातचीत के जरिए मसले का हल निकालना चाहते है।