रायपुर : जीएसटी लागू होने के बाद सरकार की आय में कमी दर्ज की गई है। यही वजह है कि इसकी भरपाई के लिए सरकार को एक हलार करोड़ का कर्ज लेना पड़ा है। टैक्स के जरिए सरकार को जीएसटी लागू होने से पहले बड़ा राजस्व मिलता था, लेकिन जुलाई माह से जीएसटी लागू होने के बाद छह माह के आंकलन में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे।
सूत्रों के मुताबिक सरकारी खजाने में अपेक्षाकृत राजस्व जमा नहीं हो पाया। यही वजह है कि सरकार को विभिन्न मदों पर भरपाई करने के लिए एक हजार करोड़ का कर्ज लेना पड़ा. आंकड़ों के मुताबिक राज्य गठन के बाद सरकार ने अब तक करीब 37 हजार करोड़ रूपए का कर्ज लिया है। वहीं इसके एवज में सरकार को सालाना करीब साढ़े चार हजार करोड़ चुकाने पड़ रहे हैं। हालांकि सरकार का दावा है कि छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों की तुलना में कर्ज का बोझ काफी कम है।
सरकार ने इसे वित्तीय प्रबंधन और मजबूत आर्थिक स्थिति बताते हुए दावे किए हैं। वित्त विभाग के सूत्रों की मानें तो जीएसटी लागू होने के बाद सरकार के राजस्व में बीते सालों की तुलना में छह माह में ही करीब 900 करोड़ रूपए की कमी आई है। यही वजह है कि सरकार को फिर से एक हजार करोड़ कर्ज लेने पहल करनी पड़ी। रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने राज्य सरकार को एक हजार करोड़ का कर्ज मंजूर कर दिया है। वहीं इसके एवज में सरकार को 779 करोड़ का ब्याज चुकाना होगा।
यह राशि भी दस वर्षों में अदा करनी होगी। जीएसटी की मार कुछ सेक्टरों पर पड़ी है। यही वजह है कि राजस्व प्रभावित हुआ है। आरबीआई ने छत्तीसगढ़ समेत कुछ अन्य राज्यों को कर्ज देना मंजूर किया है। इस मामले में सरकार ने वित्तीय स्थिति को लेकर दावे किए हैं। राज्य सरकार अपने मुख्य बजट का आकार तय करने के साथ राशि भी बढ़ा रह है। ऐसी स्थिति में एक हजार करोड़ के कर्ज को अहम मााना जा रहा है।
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