सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को द्रमुक की याचिका पर तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य विधानसभा के अध्यक्ष ने अन्नाद्रमुक के 11 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका पर कोई कार्रवाई नहीं की है। द्रमुक ने 2017 में विश्वास मत के दौरान मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी के खिलाफ वोट करने वाले उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम समेत अन्नाद्रमुक के 11 विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने की मांग की है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने द्रमुक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इस दलील का संज्ञान लिया कि अयोग्य ठहराये जाने वाली याचिका अध्यक्ष के समक्ष मार्च 2017 में पेश की गई थी और लगभग तीन वर्षों के बाद भी अध्यक्ष ने इस याचिका पर कोई कार्रवाई नहीं की। पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं।
पीठ ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश विधि अधिकारी से कहा, ‘‘हमें बताएं कि क्या आप कार्रवाई करने जा रहे हैं। यदि हां, तो कब और कैसे।’’ पीठ ने द्रमुक की याचिका पर तमिलनाडु सरकार को अपना जवाब देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर अगली सुनवाई की तिथि 14 फरवरी तय की।
याचिका में पलानीस्वामी सरकार के खिलाफ वोट करने के लिए पन्नीरसेल्वम और 10 अन्य को अयोग्य ठहराये जाने की मांग की गई है। उस वक्त पनीरसेल्वम बागी खेमे में थे। इसमें दलील दी गई है कि विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करके इन विधायकों ने व्हीप का उल्लंघन किया और इसलिए इन्हें दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराया जाना चाहिए।