रायपुर: छत्तीसगढ़ में शिक्षा कर्मियों की हड़ताल से सकते में आई सरकार ने अब तक दिए गए सुविधाओं का हवाला दिया है। चुनावी साल से पहले सरकार कर्मचारियों को नाराज करने के मूड में नजर नहीं आती। बीते वर्षों में शिक्षा कर्मियों को आंदोलन के बाद सुविधाओं का लाभ दिया गया था।
हड़ताल के बीच अब सरकार ने शिक्षा कर्मियों को भी चार फीसदी महंगाई भत्ते का लाभ दिया है। इसके अलावा उन्हें अंशदायी पेंशन योजना का लाभ देने का भी निर्णय सरकार ने लिया हे। राज्य में करीब 25 हजार से अधिक शिक्षाकर्मी स्कूलों में अध्यापन करा रहे हैं। राज्य में शिक्षक संवर्ग डाईंग कैडर घोषित होने के बाद से ही शिक्षा कर्मियों की बड़ी तादाद में भर्ती हुई है।
शिक्षा कर्मी तकरीबन हर साल अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करते रहे हैं। यही वजह है कि सरकार ने आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती का निर्णय लिया है। राज्य में शिक्षा कर्मियों की लगातार हड़ताल के चलते भी सरकार ने यह पैंतरा अपनाया है। हालांकि सरकार के आउटसोर्सिंग के निर्णय का भी विरोध हो रहा है।
सूत्र दावा करते हैं कि प्रदेश में शिक्षा कर्मी की भी चुनाव में अहम भूमिका मानी जाती रही है। शिक्षा कर्मियों के परिवार निर्णायक साबित होते रहे हैं। इधर राज्य में शिक्षा कर्मियों को नियमित वेतन नहीं मिलने से भी आत्महत्या के प्रकरण सामने आए हैं। इसके बाद ही सरकार पर दबाव बढऩा शुरू हुआ है। इसके बाद ही सरकार ने शिक्षा कर्मियों को सुविधाओं के साथ वेतन के पैकेज में भी इजाफा किया है।
हड़ताल के बीच सरकार ने महंगाई भत्ते का लाभ देने का निर्णय लिया है। इससे ही शिक्षा कर्मियों को हर माह करीब छह हजार रूपए का फायदा मिल पाएगा। राज्य के कई स्कूलों में पढ़ाई केवल शिक्षा कर्मियों के भरोसे हो रही है। यही वजह है कि सरकार के अडऩे की स्थिति में पढ़ाई ठप होने का अंदेशा है। हालांकि सरकार ने इस बार आंदोलन को लेकर सख्त रूख अपनाया हुआ है।