देश की सबसे बड़ी अदालत (सुप्रीम कोर्ट) ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के खिलाफ दाखिल याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया। इस याचिका में मांग की गई थी कि शीर्ष अदालत में सीजेआई श्री गोगोई के कार्यकाल के दौरान उनके कामकाज की इन-हाउस जांच हो।
याचिका में इस मामले की जांच के लिए न्यायालय के तीन न्यायमूर्तियों का पैनल गठित करने की भी मांग की गयी थी। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस संबंध में अरूण रामचंद, हुबलीकर की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि जस्टिस गोगोई रिटायर हो गए हैं और अब ये याचिका निष्प्रभावी हो चुकी है। इस पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्णा मुरारी भी थे। पीठ ने कहा,‘‘हम यह याचिका खारिज करते हैं। यह सुनवाई योज्ञ नहीं है। प्रतिवादी ने पहले ही अपना कार्यालय छोड़ दिया है।’’
हुबलीकर ने खुद ही शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की थी तथा पूर्व सीजेआई गोगोई के कामकाज की जांच के लिए तीन जजों का पैनल गठित करने की मांग की थी। हुबलीकर ने पूर्व सीजेआई के कार्यकाल में उनके कामकाज को लेकर आरोप लगाए थे और इसे लेकर इन-हाउस जांच की मांग की थी।
उन्होंने गोगोई के कार्यकाल में कथित ‘अनियमितताओं’ की जांच करने की मांग की थी। हालांकि पीठ ने जवाब दिया,‘‘माफ कीजिए, हम इस याचिका पर विचार नहीं कर सकते हैं।’’
न्यायमूर्ति मिश्रा की बेंच ने जनहित में दाखिल की गई इस याचिका को ‘गैरजरूरी’ बताते हुए कहा कि इस पर पिछले दो सालों से एक बार भी सुनवाई की मांग नहीं की गई है। हुबलीकर ने न्यायालय से कहा कि उन्होंने वर्ष 2018 में याचिका दाखिल की थी लेकिन उनके मामले को रजिस्ट्री ने लिस्ट ही नहीं किया।
उन्होंने न्यायालय के सामने दावा किया कि उन्होंने शीर्ष अदालत के सेक्रेटरी जनरल से याचिका को लिस्ट करने के आग्रह के साथ मुलाकात की थी, लेकिन उनकी याचिका सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं की गई। गौरतलब है कि न्यायमूर्ति गोगोई पिछले वर्ष 17 नवंबर को रिटायर हो गए थे। उन्होंने ही दशकों से खिंचे आ रहे संवेदनशील अयोध्या मुद्दे पर राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था। फिलहाल श्री गोगोई राज्यसभा के सदस्य हैं।