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आर्टिफिशियल इंटैलीजेंसी और भारत

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आज आर्टिफिशियल इंटैलीजेंस पर दुनियाभर में अध्ययन किए जा रहे हैं। इंटेलीजेंस मनुष्यों का प्रमुख गुण है। हमारी सभ्यता ने जो कुछ भी ​उपलब्धियां हासिल की हैं, वे मनुष्य की बुद्धि का ही नतीजा हैं। फिर चाहे आग के इस्तेमाल में महारत हासिल करना हो, अनाज उपजाना हो या मोटर इंजन का आविष्कार हो। इन सबके पीछे जिस एक चीज की भूमिका है, वह है मनुष्य की इंटैलीजेंसी। आज मानव ने विज्ञान में इत​नी प्रगति कर ली है और ऐसे रोबोट तैयार कर लिए हैं जो कामकाज भी कर सकते हैं और मानव की तरह अपनी बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। रोबोट अब अस्पतालों में सर्जरी भी करने लगे हैं। आर्टिफिशियल इंटैलीजेंसी के बारे में सबसे पहले जान मैकार्थी ने ही दुनिया को बताया था। वह एक कम्प्यूटर वैज्ञानिक थे।

आज यह पेड़ इतना बड़ा हो गया है कि उसकी शाखाओं की कोई सीमा ही नहीं। सारी रोबोटिक्स प्रोसेस आटोमेशन से एक्चुअल रोबोटिक्स तक की सभी चीजें इसके अंतर्गत आती हैं। अब तो कृत्रिम दिमाग तैयार कर लिए गए हैं यानी मशीनों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पैदा कर दी गई है। यह सब कम्प्यूटर सिस्टम से ही किया जाता है ताकि वह इंसानों की तरह सोच सकें और काम कर सकें। इस प्रक्रिया में मुख्यतः तीन प्रक्रियाएं शामिल हैं। पहले मशीनों के दिमाग में सूचनाएं डाली जाती हैं और उन्हें कुछ नियम सिखाए जाते हैं और उन्हें नियमों का पालन करना सिखाया जाता है। अब इसमें बिग डेटा की प्रौद्योगिकी भी शामिल है। अब रोबोटिक्स मशीनों का वाहन निर्माण, बैंकिंग और आईटी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का वैश्विक बाजार 62.9 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। आटोमैटिक कार, चैटवॉट, पर्सनल डिजिटल असिस्टेंट कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संचालित हो रहे हैं। ऐसे कृत्रिम मानव निर्मित हो चुके हैं जो किसी मानव खिलाड़ी को आसानी से हरा सकते हैं। एक कंपनी के आर्टिफिशियल इंटैलीजेंस से लैस डीप ब्ल्यू कम्प्यूटर ने शतरंज के महान खिलाड़ी कास्पोरोव को हरा डाला था तो गूगल के अल्फागो ने मानव को एक कम्प्यूटर बोर्ड खेल गो में हराया था। आर्टिफिशियल इंटैलीजेंस के तमाम फायदों के बावजूद अनेक खतरे भी हैं। इसकी मदद से शक्तिशाली स्वचालित हथियार बनाए जा रहे हैं या फिर ऐसे उपकरण, जिनके सहारे कुछ लोग एक बड़ी आबादी का शोषण कर सकते हैं। यह अर्थव्यवस्था को चोट भी पहुंचा सकते हैं।

भविष्य में होने वाले युद्ध मैदानों में नहीं लड़े जाएंगे बल्कि युद्ध का स्वरूप ही बदल जाएगा। आने वाले दिनों में लड़ाई सिर्फ ताकत पर निर्भर रहकर नहीं जीती जाएगी, हमें प्रौद्योगिकी को आत्मसात करना होगा। पुणे में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 135वें कोर्स की पासिंग आऊट परेड के बाद सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने कहा कि भविष्य के युद्धों में तकनीकी क्षमता अहम होगी और सैन्य अधिकारियों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने की जरूरत है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटैलीजेंसी के इस्तेमाल करने की जरूरत बताई क्योंकि कृत्रिम मेधा शक्ति में कई गुणा इजाफा हो रहा है और रक्षा बलों के संदर्भ में यह भविष्य का हथियार बनेगी। यदि हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता और बिग डेटा पर काम शुरू नहीं करते तो काफी देर हो जाएगी।

क्या हथियारों और सेना की वजह से लड़ाइयां होती हैं? यह सवाल बार-बार उठाया जाता रहा है। सवाल यह भी है कि इन दोनों को खत्म कर भी दिया जाए तो क्या अमन-चैन कायम हो सकेगा? इसका उत्तर है कि ऐसा नहीं होगा। भविष्य के युद्ध तकनीक से होंगे। हम ड्रोन विमानों को युद्ध क्षेत्र में उतरते देख रहे हैं। ड्रोन से बम गिराए जा रहे हैं। भविष्य में विमानों के बीच डॉगफाइट खत्म हो जाएगी। दूर बैठे पायलट विमानों का संचालन करेंगे और दूर तक नज़र रखने वाले राडारों की मदद से बियांड विजुअल रेंज मिसाइलों का इस्तेमाल करेंगे। गोला-बारूद की जगह लेज़र और इलैक्ट्रोमेग्नेटिक पल्स का इस्तेमाल बढ़ेगा। हाथ में बन्दूक थामे वर्दीधारी सैनिकों की जगह धीरे-धीरे मशीनी मानव या रोबोट ले लेंगे, जो पूरी तरह अपने कमांडर से निर्देश लेते होंगे और जिनके माथे, सीने और पीठ पर लगे कैमरे मुख्यालय को युद्ध क्षेत्र की लाइव तस्वीरें दिखाते रहेंगे। इस दौरान सेना का रोबोटीकरण हो जाएगा।

भविष्य के युद्ध नेटवर्क सैंड्रिक होंगे। यानी सैनिक पूरी तरह साइबर स्पेस से जुड़े होंगे। इस्राइली रक्षा विभाग और अमेरिकी स्पैशल आपरेशन कमांड ने तो ऐसी ड्रेस तैयार कर ली है कि जो भी इस ड्रेस पहने सैनिक के सामने आएगा उसकी हर गतिविधि को रिकार्ड कर लिया जाएगा। ऐसे उपकरण भी तैयार कर लिए गए हैं कि कोई भी देश किसी भी दूसरे देश की कम्प्यूटर प्रणाली को ठप्प कर सकता है। भारत का विरोधी देश चीन आर्टिफिशियल इंटैलीजेंसी पर काफी धन खर्च कर रहा है। सैन्य मामलों में वह हमसे कहीं आगे है। सैन्य मामलों में अगली क्रांति प्रौद्योगिकी में नवाचारों से तय होगी। भारत को भी चाहिए कि सेना को प्रौद्योगिकी के उपयोग के जरिए आधुनिक बनाया जाए। भारत की सेनाएं आधुनिक होंगी तो देश की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

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