नयी दिल्ली : एनजीटी ने कहा है कि वोल्क्सवैगन ने भारत में अपनी डीजल कारों में ‘‘चीट डिवाइस’’ लगा कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है। हरित अधिकरण ने इस जर्मन ऑटोमोबाइल कंपनी को सीपीसीबी के पास 100 करोड़ रूपये की अंतरिम राशि जमा करने का निर्देश दिया है।
‘‘चीट डिवाइस’’ डीजल इंजनों में लगाया गया एक सॉफ्टवेयर है, जो दुनिया भर में कारों के कार्य निष्पादन में बदलाव कर प्रदूषण से जुड़े उत्सर्जन नियमों को प्रभावित करता है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कहा कि वाहन बनाने वाली कंपनी द्वारा इन उपकरणों को लगाया जाना प्रथम दृष्टया पर्यावरण का उल्लंघन प्रतीत होता है।
एनजीटी ने कहा कि वोल्क्सवैगन प्राइवेट लिमिटेड और स्कोडा ऑटो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। इसलिए, ‘‘प्रदूषण करने वाला क्षतिपूर्ति करेगा का सिद्धांत’’ लागू करने (इस मामले में) की जरूरत है। एनजीटी एक्ट 2010 की धारा 20 में इसका प्रावधान है। अधिकरण के 16 नवंबर के आदेश को सोमवार को अपलोड किया गया है।
एनजीटी ने कहा कि यह रकम एक अंतरिम उपाय भर है और इस विषय पर विशेषज्ञों की राय का इंतजार है। एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति एसपी वांगडी की पीठ ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), भारी उद्योग मंत्रालय, ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) और नेशनल इनवायरोनमेंटल इंजीनयरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रतिनिधियों की एक संयुकत टीम गठित की है।
एनजीटी ने टीम को इस विषय पर विशेषज्ञ राय देने को कहा है कि क्या विनिर्माता ने तय पर्यावरण नियमों का उल्लंघन किया है और पर्यावरण को पहुंचे नुकसान का निष्पक्ष आकलन किया जाए। इससे पहले ऑटो कंपनी के जवाब पर भी विचार किया जाए। सभी पक्षों को संबद्ध दस्तावेज सीपीसीबी के पास एक हफ्ते में सौंपने की छूट दी गई है। पीठ ने मामले पर आगे की सुनवाई के लिए 17 जनवरी 2019 की तारीख तय की है।
एनजीटी ने कैलीफोर्निया एयर रिसोर्सेज बोर्ड और अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के समक्ष किए गए वोल्क्सवैगन के इस कबूलनामे का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि उसने जानबूझ कर यह साफ्टवेयर कारों में लगाए थे। साथ ही, उसने (कंपनी ने) एक बयान जारी कर कहा कि वह ग्राहकों का विश्वास तोड़ने के लिए माफी मांगी है और इस बात का जिक्र किया कि अमेरिका में 4,82,000 कारों में चीट डिवाइस लगे हुए हैं।