बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि केंद्र और राज्य के बीच संबंध लेन-देन का नहीं है और जीएसटी परिषद को राजस्व में कमी के लिए बीच का रास्ता निकालना होगा, क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण केंद्र सरकार को भी राजस्व में भारी घाटा हो रहा है। चालू वित्त वर्ष में 2.35 लाख करोड़ रुपये के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व की कमी को पूरा करने को लेकर पंजाब, केरल, दिल्ली और पश्चिम बंगाल जैसे गैर-भाजपा शासित राज्यों और केंद्र सरकार के बीच तीखे मतभेद हैं।
इसमें 97,000 करोड़ रुपये जीएसटी कार्यान्वयन के कारण हैं, जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ रुपये राज्यों के राजस्व पर कोविड-19 के असर के चलते हैं। केंद्र ने जीएसटी राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिये राज्यों को दो विकल्प दिये। इसके तहत राज्य भविष्य में होने वाले कर प्राप्ति के एवज में बाजार से कर्ज ले सकते हैं। हालांकि, पंजाब और दिल्ली ने इस पर अपनी असहमति जता दी है। मोदी ने बताया कि केंद्र सरकार और राज्य दोनों जीएसटी में हितधारक हैं और दोषारोपण की जगह राज्यों को समझना चाहिए कि केंद्र महामारी के अलावा रक्षा संबंधी चुनौतियों का सामना भी कर रहा है, जिसके लिए अधिक खर्च करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि केवल राज्यों का राजस्व प्रभावित हुआ है, केंद्र सरकार का राजस्व भी घटा है और केंद्र के बड़े पैमाने पर उधार लेने से व्यापक आर्थिक प्रभाव पड़ेगा।’’ बिहार में गठबंधन सरकार में वित्त विभाग की जिम्मेदारी रखने वाले मोदी ने कहा, ‘‘केंद्र और राज्यों के बीच संबंध लेन-देन वाला नहीं है, हमें सहकारी संघवाद की भावना को ध्यान में रखना होगा, और एक बीच के रास्ते की तलाश करनी होगी।’’