पटना: भाजपा पर बिहार की छवि धूमिल करने के आरोप मढ़ते हुए जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि सत्ता से बाहर निकाले जाने के बाद भाजपा के नेताओं के आँखों पर अंधविरोध का चश्मा चढ़ गया है. इसीलिए कल तक उनके नेता बिहार के जिस विकास की कहानियां सुनाते नहीं थकते थें, आज उन्हें वह दिखाई देना तक बंद हो गया है. कुर्सी के लालच में यह लोग अब बिहार की छवि को खराब करने पर उतर आये हैं. एक तरफ इनके नेता हर दिन बिहार के खिलाफ बयानबाजी कर के बिहारवासियों को नीचा दिखाने के प्रयासों में लगे रहते हैं, दूसरी तरफ इनका आईटी सेल भ्रामक खबरों को बढ़ा-चढ़ा कर लोगों को गुमराह करने में व्यस्त रहता है. भाजपा के नेता यह जान लें कि बिहार की जनता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य के विकास को भलीभांति समझती है और बेहद खुश है. उनका कोई प्रोपगैंडा यहां काम नहीं आने वाला.उन्होंने कहा कि भाजपा के नेताओं को चाहिए कि अपने प्रोपगैंडा से समय निकाल कर सरकार द्वारा जारी आर्थिक सर्वेक्षण को भी पढ़ें. उन्हें पता चल जाएगा कि बिहार विकास के सभी मापदंडों पर तेज गति से आगे बढ़ रहा है. उन्हें फिर से याद आ जायेगा कि चाहे बात कृषि की हो या महिलाओं के सशक्तिकरण की, बिहार सरकार द्वारा किये जा रहे काम पूरे देश के सामने एक उदहारण बन कर उभरे हैं. बिहार के विकास रथ को सुचारू रूप से चलाये रखने के लिए यह सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों का ही नतीजा है कि आज बिहार का 10.98 का विकास दर, देश के विकास दर से भी अधिक है. देश के तेजी से बढ़ने वाले राज्यों में आज बिहार तीसरे नंबर पर पहुंच चुका है.उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को जानना चाहिए कि सरकार के कामों से आम बिहारवासियों के जीवनस्तर में सुधार हुआ है, वहीं उनकी आमदनी भी गत वर्ष के मुकाबले बढ़ चुकी है. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में प्रति व्यक्ति सालाना आय 6400 बढ़कर 54,383 रुपए हो गई है. ऐसे में उनके झूठे बयान कहीं भी काम नहीं आने वाले. आंकड़े देते हुए जदयू प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में सड़क के क्षेत्र में भी काफी तरक्की हुई है. बिहार में कुल सड़कों का घनत्व 31.69 किलोमीटर प्रति 1000 वर्ग किलोमीटर भौगोलिक क्षेत्रफल पर है. जो देश में केरल और पश्चिम बंगाल के बाद सर्वाधिक है. राज्य सरकार ने सड़कों व पुलों के निर्माण और रखरखाव पर 2015 से लेकर के 2022 की अवधि में 76483 करोड़ों रुपए खर्च किए हैं. इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य, शिक्षा, जलापूर्ति विद्युत गैस कनेक्शन जैसे जन उपयोगी सेवा में भी काफी वृद्धि दर्ज की गई है. पिछले 16 साल में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिहार ने 11 गुना और शिक्षा के क्षेत्र में 8 गुना खर्च की वृद्धि की है. इसके अलावा प्राइमरी सेक्टर में भी जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है. यह दिखाता है कि बिहार की तस्वीर भाजपा द्वारा पेश किये जाने वाले चित्र से साफ़ अलग है.