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क्रिप्टो करेंसी का करप्ट खेल

बिटकाइन के बढ़ते इस्तेमाल ने दुनिया भर की सुरक्षा एजैंसियों की नींद उड़ा दी है। बिटकाइन की व्याख्या से स्पष्ट है कि इसे ट्रेस नहीं किया जा सकता।

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि क्रिप्टो करेंसी भविष्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। वर्तमान में 96 देशों में इसका उपयोग हो रहा है। पिछले कई वर्षों से इसका प्रचलन बढ़ भी रहा है। पुराने समय में लोगों ने ​वस्तुओं के लिए भौतिक सम्पत्ति का ट्रेड किया था। यानी सामान के बदले सामान का आदान-प्रदान, इसे बार्टर सिस्टम कहा गया। 
आगे चलकर वे मुद्राएं और सिक्के बने, जिनका संचालन देशों की सरकार के हाथ में होता है और आरबीआई जैसा कोई वित्तीय संस्थान इसकी निगरानी करता है। 2009 में बिटकाइन के संस्थापक सतोशी नाकामोती को एक विचार आया जिसने लोगों के पैसे के बारे में सोचने के तरीके बदल डाले। क्रिप्टो करेंसी एक वर्चुअल करेंसी है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 6 अप्रैल, 2018 को एक सर्कुलर जारी कर क्रिप्टो करेंसी ट्रेडिंग पर रोक लगा दी थी। आरबीआई ने कहा था कि इसके द्वारा विनियमत सभी संस्थाएं वर्चुअल करेंसी में कारोबार नहीं करेंगी। साथ ही ऐसे किसी व्यक्ति या इकाई को सेवाएं प्रदान नहीं करेंगी। वे नियमित संस्थाएं जो पहले से ही ऐसी सेवाएं प्रदान कर रही थी, उन्हें तीन महीने के भीतर क्रिप्टो करेंसी से जुड़े ट्रेड से बाहर निकलने के लिए कहा गया था। 
रिजर्व बैंक के इस प्रतिबंध को इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई द्वारा लगाए गए  अंकुश को हटाते हुए क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड को मंजूरी दे दी है। शीर्ष अदालत ने क्रिप्टो करेंसी के व्यापार पर प्रतिबंध को अवैध बताया है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आफ इंडिया ने क्रिप्टो करेंसी का प्रतिनिधित्व करते हुए तर्क दिया कि संविधान के तहत प्रतिबंध लगाने वाले कानून की अनुपस्थिति में क्रिप्टो करेंसी में व्यापार करना वैध व्यापारिक गतिविधि है। 
आरबीआई का कहना था कि वह हमेशा से ही किसी भी अन्य पेमेंट सिस्टम की अनुमति देने और बैंकिंग प्रणाली की प्रमाणिकता को कम करने के विरोध में रहा है। आरबीआई का तर्क था कि हालांकि भारत में ऐसा कोई कानून अस्तित्व में नहीं है, जिसके तहत क्रिप्टो करेंसी पर कोई औपचारिक प्रतिबंध लगाया जाए लेकिन उसका फैसला सभी सम्भावित जोखिमों से निपटने के लिए चेतावनी है। 
वस्तुतः बिटकाइन एक नई इनोवेटिव टेक्नोलाजी है जिसका उपयोग ग्लोबल पेमेंट के लिए किया जा रहा है। यह अनोखी और नई आभासी मुद्रा है। कम्प्यूटर नेटवर्कों के द्वारा इस मुद्रा से बिना किसी मध्यस्थता के ट्रांजेक्शन किया जा सकता है। शुरूआत में कम्प्यूटर पर बेहद जटिल कार्य के बदले यह क्रिप्टो करेंसी कमाई जाती थी। चूंकि यह करेंसी सिर्फ कोड में होती है इसलिए इसे जब्त नहीं ​किया जा सकता है।
कम्प्यूटर आधारित इस भुगतान प्रक्रिया की सबसे ज्यादा खासियत यह है ​िक शेयर बाजार की तरह इसके मूल्य में परिवर्तन होता है। मांग आधारित बाजार व्यवस्था है। इस डिजिटल करेंसी को डिजिटल वालेट में भी रखा जाता है। बिटकाइन को क्रिप्टो करेंसी भी कहा जाता है। बिटकाइन ब्लाक चेन मेथर्ड का प्रयोग करता है। यह चेन पूरी तरह से ट्रैक की जा सकती है परन्तु इस चेन को जिस ‘डार्क वेब’ पर ब्राउज किया जाता है उसे ट्रैक करना काफी कठिन है। 
साथ ही बिटकाॅइन को करेंसी की मान्यता न देने के चलते इसके रिकार्ड्स के लिए कोई स्पष्ट नियम है ही नहीं। बिटकाइन संचालन कम्प्यूटरों के विकेन्द्रीकृत नेटवर्क से किया जाता है, जहां ट्रांजेक्शन करने वालों की व्यक्तिगत जानकारियों की जरूरत नहीं होती है। क्रेडिट कार्ड या बैंक ट्रांजैक्शन के विपरीत इससे होने वाले ट्रांजैक्शन इररिवर्सिबल होते हैं अर्थात् इन्हें वापिस नहीं लिया जा सकता। दरअसल यह वन-वे ट्रैफिक है, वहीं क्रेडिट कार्ड, बैंक ट्रांसफर आदि में पैसे जहां भेजे जाते हैं इसका आसानी से पता लगाया जा सकता है। 
अप्रैल 2019 से लेकर 3 मार्च, 2020 तक ​बिटकाइन का भाव 125 फीसदी बढ़ा है। 2019 के अंत में ​बिटकाइन का भाव 4 हजार डालर करीब 2.84 लाख रुपए के आसपास था जो अब 9000 डालर यानी 6.39 लाख रुपए हो चुका है। बिटकाइन इस समय दुनिया की सबसे महंगी करेंसी है। बिटकाइन का दूसरा पहलू यह भी है कि इसका इस्तेमाल कालेधन, हवाला, ड्रग्स की खरीद, बिक्री, टैक्स की चोरी और आतंकवादी गतिविधियों में बड़े पैमाने पर होता है। 
बिटकाइन के बढ़ते इस्तेमाल ने दुनिया भर की सुरक्षा एजैंसियों की नींद उड़ा दी है। बिटकाइन की व्याख्या से स्पष्ट है कि इसे ट्रेस नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि दुनिया भर के कम्प्यूटरों को फिरौती वायरसों का खतरा बढ़ता जा रहा है। विप्रो को रासायनिक हमले की धमकी देने वालों ने 500 करोड़ की फिरौती भी बिटकाइन में मांगी थी। बिटकाइन दुनिया भर में मनी लॉड्रिंग का सबसे सुरक्षित तरीका है और किसी भी टैक्स हैवन देश में जाकर इसे डालर में बदला जा सकता है। अमेरिका के लासबेगास के कसीनों में ​बिटकाइन के एटीएम लगे हुए हैं। 
यदि किसी नौकरशाह को रिश्वत देने कोई भी कम्पनी बिटकाइन वालेट में पैसा दे तो क्या हमारा सिस्टम इसे पकड़ पाएगा? वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि शीर्ष अदालत के फैसले को देखकर ही सरकार राय बनाएगी। पूर्व वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेतली का स्पष्ट स्टैंड था कि क्रिप्टो करेंसी भारत में नहीं चलेगी। 
पिछले वर्ष अंतर मंत्रालयी समिति ने बिटकाइन जैसी निजी क्रिप्टो करेंसी पर पाबंदी लगाने का सुझाव दिया था। साथ ही आभासी मुद्राओं से संबंधित किसी भी ​गतिविधि को अपराध की श्रेणी में रखने का सुझाव दिया था। अब सरकार क्या रुख लेती है यह देखना होगा। सरकार के सामने देश के हितों की रक्षा करने की चुनौती अभी भी बरकरार है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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