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सुरक्षा तंत्र में छेद

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जासूसी यानी किसी दूसरे के भेदों को हासिल करना। यह कोई नया विषय नहीं। राजाओं-महाराजाओं के दौर में भी जासूस होते थे लेकिन आज के दौर में जासूसी के ढंग बदल गए हैं। जासूसी से न तो महाशक्ति अमेरिका बच पाया और न ही रूस। सुरक्षा की दृष्टि से हर देश दूसरे देश की जासूसी करता है। बड़ी शक्तियों ने तो एक-दूसरे के सुरक्षा तंत्र को भेदने के लिए व्यापक खुफिया तंत्र विकसित किया हुआ है जो नई-नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर जासूसी करते ही रहते हैं। दुनियाभर मेें खुफिया एजैंटों का जाल बिछा हुआ है। सवाल यह है कि कोई बाहरी व्यक्ति अपने देश के लिए जासूसी करे तो यह उसका दायित्व या राष्ट्रवाद माना जा सकता है लेकिन एक कहावत है कि घर में बैठे चोर काे तो शिवजी भी पकड़ नहीं सकते। जहां तक सेना में आतंकियों के मददगार आंतरिक घटकों या देश में स्लीपर सैैल आदि की बात है, जब ऐसा पैटर्न बनता है तो सुरक्षा को लेकर चिन्तित होना स्वाभाविक है। एक तरह की ईमानदारी सुरक्षा को लेकर होनी ही चाहिए।

भारतीय सेनाएं हमारी सीमाओं की प्रहरी हैं। देश के भीतर प्राकृतिक आपदाओं, सामाजिक तनाव, आतंकी हमलों और अस्थिरता की स्थि​ितयों में वह हमारा सहारा बनती है। उनके त्याग, बलिदान और समर्पण की कहानियों से इतिहास भरा पड़ा है। इन्हीं कारणों से उन्हें सम्मान के साथ देखा जाता है। सशस्त्र बलों के भीतर से आती जासूसी या भ्रष्टाचार की खबरें न सिर्फ सैन्य सेनाओं की छवि को नुक्सान पहुंचाती हैं, बल्कि देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को लेकर चिन्ताएं भी बढ़ जाती हैं। एक तरफ हमारे सैनिक देश और नागरिकों की रक्षा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ सेनाओं में ​घुस आए कुछ लोग चन्द पैसों की खातिर सेना की गोपनीय जानकारी दुश्मनों को दे रहे हैं। दुर्भाग्य से उच्च पदों पर बैठे कुछ अधिकारी भी इसमें शामिल पाए जा रहे हैं।

अब वायुसेना मुख्यालय में तैनात ग्रुप कैप्टन रैंक के अधिकारी को जासूसी के आरोप में हिरासत में ले लिया गया है। अधिकारी को पकड़ा तब गया जब काउंटर इंटेलिजेंस सर्विलांस के दौरान एयरफोर्स की सैंट्रल सिक्योरिटी और इन्वेस्टिगेशन टीम ने पाया कि ग्रुप कैप्टन गैर-कानूनी इलैक्ट्रानिक डिवाइस का इस्तेमाल कर रहा है। यह हनीट्रैप का मामला लगता है जिसमें आरोपी अधिकारी एक महिला को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर संवेदनशील जानकारी दे रहा था। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं है कि जिस महिला को वह ये जानकारियां दे रहा था वह वाकई कोई महिला है या फिर विदेशी खुफिया एजैंसी का कोई एजैंट। कुछ समय पहले ऐसे मामले सामने आए थे कि फेसबुक पर महिला बनकर पाकिस्तानी खुफिया एजैंसी आईएसआई के एजैंट भारत के सशस्त्र बलों के जवानों से सूचना इकट्ठी कर रहे थे, फिलहाल जांच जारी है।

अगस्त 2014 में भारतीय सेना के एक अधिकारी को फेसबुक के माध्यम से दोस्त बनी पाकिस्तानी महिला को संवेदनशील सूचनाएं मुहैया कराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हथियारों के दलाल अभिषेक वर्मा पर कई सेवानिवृत्त और सेवारत सैन्य अधिकारियों तथा रक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के साथ मिलकर वायुसेना की खरीद योजना से जुड़ी संवेदनशील और गोपनीय फाइलों की चोरी का मामला काफी चर्चित हुआ था। जिन अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था, उनमें दो नौसेना के कमांडर और एक वायुसेना का विंग कमांडर था। 2010 में पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग में कार्यरत भारतीय राजनयिक माधवी गुप्ता को पाक की खुफिया एजैंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने के ​लिए गिरफ्तार किया गया था।

माधवी गुप्ता ने तीन साल तक आईएसआई के लिए काम किया। वह पाकिस्तान दूतावास में सचिव स्तर की अधिकारी थी। नई दिल्ली स्थित पाक दूतावास तो किसी समय जासूसी के केन्द्र के रूप में विख्यात हो चुका था। अनेक बार उसके राजनयिक पकड़े जाते रहे हैं जिन्हें नियमों के मुताबिक निष्कासित किया जाता रहा है। जासूसों के साथ कई बार टकराव की नौबत भी आती रही है।पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के कुछ दिनों बाद ऐसी खबरें आई थीं कि इसमें भारतीय वायुसेना के एक स्टाफ की ही हिस्सेदारी थी। इसके बाद आर्मी बेस से भी जुड़े कई कर्मी पाए गए आैर ग्वालियर, बठिंडा और जैसलमेर में भी कई गिरफ्तािरयां हुईं।

ज्यादातर मामलों में सेंधमारी या सूचना के लीक होने की समस्याएं सिविलियन लोगों की वजह से भी होती हैं। जो सेना देश की रक्षा के लिए लड़ रही है, शहादतें दे रही है, क्या जवानों की शहादत की कीमत जासूसी के लिए मिल रहे पैसों से कहीं सस्ती है। ध्यान में रखना होगा कि सेना में हमारे समाज से ही लोग भर्ती होकर आते हैं। जब हमारा समाज आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा है तो आखिर वहां पर पूरी तरह ईमानदार लोग कहां से लाएं? यदि हम सेना में भ्रष्टाचार की सेंध को बन्द करना चाहते हैं तो सबसे पहले युवा पीढ़ी को नैतिकता का पाठ पढ़ाना शुरू करना होगा। उन्हें देशभक्त आैर राष्ट्रवादी बनाना होगा। खुफियागिरी करने वाले तो हमेशा कमजोर कड़ी की तलाश करते हैं। उनका यही लक्ष्य रहता है कि किसी तरह हम शिकार फंसाएं और ब्लैकमेल करें। जासूसी तो बहुत पुरानी प्रक्रिया है। यह देश की रक्षा-सुरक्षा की दृष्टि से बहुत संवेदनशील और गम्भीर मामला है। भारतीय सेना को अपने तंत्र को आैर मजबूत बनाना होगा।

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