अमित शाह जी को इस बहन का तहेदिल से सलाम या यूं कह लो देश की सभी बहनों की तरफ से सलाम। जो-जो नाबालिग बच्चियों के रेप को सुनकर तड़पती हैं और उन सबका दिल करता है कि ऐसे लोगों को बीच चौराहे पर फांसी होनी चाहिए या वो पीड़ित महिलाएं जो सामूहिक दुष्कर्म का शिकार होती हैं।
जब गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में भारतीय दंड संहिता को बदलने के लिए भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 पेश किया तो दिल को राहत मिली और मैं पूरी उम्मीद करती हूं यह विधेयक दलगत राजनीति से उठकर 100 प्रतिशत बहुमत से पास होने चाहिए। वैसे भी शाह के अनुसार 2019 में देश के सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों, विधि विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर नए कानूनों के संबंध में सुझाव मांगे गए थे। इसके मंथन पर 158 बैठकें हुईं और सभी सांसदों, विधायकों, मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों को भी पत्र लिखे गए यानि काफी काम हुआ।
न्याय संहिता विधेयक 2023 में बहुत से विषय हैं परन्तु जो विषय मेरे दिल के करीब हैं या जिन्हें मैं दिल से चाहती थी वो हैं, किसी भी नाबालिग से रेप पर फांसी की सजा होनी चाहिए, सामूहिक दुष्कर्म करने वालों को कड़ी सजा या उन्हें भी आजीवन कारावास या फांसी होनी चाहिए आैर जो लोग धर्म परिवर्तन कर शादियां या अपराध करते हैं उन पर रोक लगनी चाहिए।
कहते हैं-भय बिन होये न प्रीत… यानि किसी भी काम को ठीक करने के लिए भय होना जरूरी है। रोज अखबारों में खबरें पढ़ कर दिल रो उठता था। हमेशा ईश्वर से हाथ जोड़कर प्रार्थना करती थी कि जो मासूमों से दुष्कर्म करते हैं उन्हें फांसी हो या वो तड़प-तड़प कर मरें। आखिर भगवान सुनने को तैयार हैं और जरिया बनाया है अमित शाह जी को, जो यह विधेयक लाए हैं। ऐसे दुष्कर्म करने वालों को फांसी होगी तो मुुझे पूरा यकीन है कि यह दुष्कर्म रुक जाएंगे, क्योंकि जब ऐसी घिनौनी हरकत करने वालों के अन्दर जब डर और खौफ पैदा होगा तो वो इस काम के नजदीक नहीं जाएंगे। कितना घोर अन्याय है जिन बच्चियों को मासूम उम्र में अपने शारीरिक अंगों के बारे में भी ठीक से मालूम नहीं होता उनसे हैवान बलात्कार करते हैं। ऐसे जानवरों को जिन्दा रहने का अधिकार नहीं है और उससे भी बढ़कर जो सामूहिक बलात्कार करते हैं उनको भी सख्त सजा मिलेगी, मुझे पूरी उम्मीद है ऐसे पापों का अंत होगा जो अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुके हैं। हम बहुत से ऐसे देशों को जानते हैं जहां ऐसे पाप करने वालों के हाथ-पैर काट दिए जाते हैं, तो वहां जीरो प्रतिशत अपराध है। ऐसा ही भय दुनिया के हर कोने में होना चाहिए तभी हम बेटियों को बेटों के समान दर्जा दे सकेंगे। क्योंकि आज बेटियां हर क्षेत्र में पुरुषों के समान हैं या आगे हैं परन्तु कुदरत की देन अपनी शारीरिक संरचना के कारण ऐसे अपराधों का शिकार होती हैं। अगर यह कानून लागू होगा तो बेटियां बिना किसी भय के अकेली किसी भी समय कहीं भी आ-जा सकेंगी।
इसके बाद मामूली अपराध करने वालों को सामुदायिक सेवा जैसे पौधारोपण, धार्मिक स्थलों एवं आश्रय स्थलों पर सेवा आिद प्रावधान शामिल किया गया है, बहुत ही अच्छा है, क्योंकि जैसे-जैसे मैं सामाजिक काम करती हूं। मुझे जेलों से बहुत से युवकों के पत्र आते हैं, कहीं वो झूठे, छोटे अपराध में बंद या उनकी सुनवाई नहीं या वो एेसे जुर्म की सजा काट रहे हैं जो उन्होंने किया ही नहीं। एक युवा के पत्र ने तो मुझे रुला दिया था कि उसने पाकेटमारी की थी, क्योंकि उसको अपनी मां की दवाई के लिए पैसे चाहिए थे, वो पकड़ा गया उसे पुलिस ने बहुत पीटा, जेल में बंद रखा और वह अपनी मां को नहीं बचा सका। अगर ऐसा कानून बना होता तो उसे कहीं गुरुद्वारे, मंदिर में सेवा दी जाती या बुजुर्गों की सेवा देकर उसका छोटा अपराध (वैैसे अपराध तो अपराध है) माफ हो जाता तो वह अपनी मां को बचा सकता था। ऐसे छोटे अपराध करने वालों को हमारे वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब में बुजुर्गों की सेवा के लिए भेजा जा सकता है या देश में असहाय बुजुर्गों की कमी नहीं, उनकी सेवा करने का काम देकर उनको सजा दी जा सकती है। यह सही मायने में उनको अपनी गलती सुधारने और गलती का एहसास करने का अवसर होगा, पश्चाताप होगा या गुरुद्वारे, मंदिर में जूता सेवा, सफाई करना भी ठीक होगा।
यही बात है न हमारे यहां रोटी चोर तो कैद में होते हैं, बड़े चोरों तक कोई पहुंच ही नहीं पाता। अंत में मैं यही कहूंगी कि 2023 के विधेयक में बहुत से कानूनों को बदलने और सख्त करने के लिए कहा गया परन्तु इन विषयों को जिस पर मैंने विचार-विमर्श किया है उसके लिए मैं अमित शाह जी को तहेदिल से साधुवाद देती हूं कि उन्होंने बेटियों, यानी पीड़ित बेटियों के दर्द को महसूस किया, समझा और यह विधेयक पेश किया। मुझे पूरी उम्मीद है कि हर इंसान इस विधेयक का समर्थन करेगा और यह जल्दी लागू होंगे ताकि हमारे देश में नाबालिग बच्चियां और युवतियां सुरक्षित हो सकें, दोबारा से अमित भाई को सलाम।