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महाराष्ट्र में एनडीए की पेशानियों पर बल क्यों?

‘आंखों में गुनगुनी धूप भर कर इस बोसीदा सुबह को जब जब देखा है
बिस्तर की सिलवटों को बदन में ओढ़ कर माना इसे ख्वाबों का धोखा है’
ज्यों-ज्यों लोकसभा चुनावों की घड़ी पास आ रही है महाराष्ट्र में सत्ता पक्ष के बीच उठा-पटक और तेज हो गई है। सूत्र बताते हैं कि अभी पिछले दिनों भाजपा के सीएम एकनाथ शिंदे और उनके डिप्टी देवेंद्र फड़णवीस के बीच सीटों की शेयरिंग को लेकर गर्मागर्म बहस हो गई। दरअसल, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस दफे महाराष्ट्र की कुल 48 में से 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहता है। सो देवेंद्र फड़णवीस ने शिंदे को उनके हिस्से की महज़ 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की नसीहत दी, तो शिंदे भड़क गए, उन्होंने खम्म ठोक कर कहा कि ‘आप जानते हैं हमारे 18 तो मौजूदा सांसद हैं, उनके टिकट हम कैसे काट सकते हैं?’ शिंदे ने कहा ‘इस बारे में वे सीधे पीएम से बात करेंगे।’
नाराज़ फड़णवीस ने इस वाक्ये के बाद सीधे दिल्ली फोन डायल किया और उनसे शिकायत भरे लहजे में कहा-शिंदे को रोकिए, नहीं तो ये हाथ से निकल रहे हैं। दरअसल, भाजपा ने महाराष्ट्र में कई दौर के जनमत सर्वेक्षण करवाए हैं और इन सर्वेक्षणों में शिंदे के ज्यादातर मौजूदा सांसदों की रिपोर्ट निगेटिव आ रही है, इन सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर ही भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व शिंदे की पार्टी के लिए 10 और अजित पवार की पार्टी के लिए लोकसभा की 8 सीटें छोड़ना चाहता है। भाजपा को यकीन है कि मौजूदा हालात में इन दोनों नेताओं के लिए भाजपा के इस 10-8 के प्रस्ताव को ठुकरा पाना आसान नहीं रहेगा।
भाजपा ने जिन अपनों के टिकट काटे
भाजपा ने अपने जिन मौजूदा सांसदों के टिकट काटे हैं उन्हें मनाने के उपक्रम भी जारी हैं। पार्टी नहीं चाहती की कहीं से कोई बगावत की सुगबुगाहट आकार ले, पार्टी ने पहले से अपना ‘डैमेज कंट्रोल मैकनिज्म’ तैयार रखा हुआ है। जैसे जब जाट नेता प्रवेश वर्मा का टिकट काट कर उनकी जगह पश्चिमी दिल्ली से कमलजीत सहरावत को टिकट दिया तो इसके तुरंत बाद उन्हें हाईकमान का फोन आ गया, प्रवेश को आश्वासन दिया गया है कि ‘उन्हें आने वाले दिनों में एक बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है’, यानी उन्हें आगामी दिनों में दिल्ली प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। जब प्रवेश ने अपना टिकट काटे जाने की वजह जाननी चाही तो हाईकमान ने उन्हें समझाया कि उनके संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी विधानसभा सीटों पर पिछले चुनाव में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था, और इस बार के सर्वेक्षण नतीजों में प्रवेश के संसदीय सीट पर उन्हें जनता की ओर से सबसे कम नंबर दिए गए थे।
गौतम गंभीर को आश्वासन मिला है कि ‘उन्हें बीसीसीआई में एडजस्ट किया जाएगा’, वहीं जयंत सिन्हा से उन्हें नीति आयोग का सदस्य बनाने का वायदा है। डेमेज कंट्रोल अभियान पार्टी आलाकमान ने खुद संभाल रखा है।
आसनसोल में क्यों टूटी पवन की आस?
क्या भाजपा हाईकमान के कहने के बाद ही आसनसोल से भोजपुरी गायक पवन सिंह ने अपना नाम वहां से वापिस ले लिया? दरअसल पश्चिम बंगाल में स्थानीय भाजपा नेताओं, बुद्धिजीवियों, भद्र समाज का एक व्हाट्सऐप्प ग्रुप है, जिसे बाद में कोई 25-30 बंगाली पत्रकारों ने ज्वॉइन कर लिया था, इस ग्रुप के कोई 250 के आसपास मेंबर हैं। जैसे ही भाजपा ने अपनी पहली सूची में आसनसोल से पवन सिंह को टिकट देने का ऐलान किया, पवन सिंह द्वारा गाए गए कथित अश्लील गाने किसी ने इस ग्रुप पर डाल दिए, बाद में इस ग्रुप के स्क्रीन शॉट तेजी से पूरे पश्चिम बंगाल में वायरल होने लग गए। जब इन ‘स्नेप शॉट्स’ का संज्ञान भाजपा नेताओं को हुआ तो उनकी बेचैनी बढ़ गई, फिर शुभेंदु अधिकारी ने आलाकमान के यहां फोन कर सारी वस्तुस्थिति से अवगत कराया, और कहा इससे तो टीएमसी को फायदा हो जाएगा। अधिकारी ने यह अनुरोध भी किया कि ‘अब पश्चिमी बंगाल में थोड़ा ज्यादा वक्त देना होगा’, इसके बाद ही पवन सिंह से कहा गया कि वे डैमेज कंट्रोल करें। अब सुना जा रहा है कि पवन अपने लिए बिहार के आरा से टिकट मांग रहे हैं।
केरल से नहीं लड़ना चाहते थे चंद्रशेखर
जब भाजपा की पहली सूची सामने आई तो उसमें आश्चर्यजनक तौर पर केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर को केरल के तिरुअनंतपुरम से उम्मीदवार घो​िषत किया गया था, इस बात से चंद्रशेखर खासे अपसेट हुए, क्योंकि वे बेंगलुरु की किसी सीट से अपने लिए टिकट मांग रहे थे। जब केंद्रीय मंत्रियों की आखिरी बैठक के बाद चंद्रशेखर कमरे से बाहर निकले तो वे हरदीप पुरी से टकरा गए, चंद्रशेखर ने अपना दुखड़ा पुरी के समक्ष रोते हुए कहा कि ‘आप तो जानते ही हैं कि तिरुअनंतपुरम में इस बार शशि थरूर से लड़ाई कितनी मुश्किल रहने वाली है।’ इस पर पुरी ने चंद्रशेखर की पीठ थपथपाते हुए कहा ‘हौंसला रखो, मैं भी तो पिछला चुनाव हार गया था, आज देखो मेरे पास दो-दो इंर्पोटेंट पोर्ट फोलियो हैं, हार कर आओगे तो भी तो मंत्री बनने का चांस कहीं ज्यादा है।’
सनद रहे कि शशि थरूर पिछले 15 सालों से केरल के तिरुअनंतपुरम से सांसद हैं। वैसे भी 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा दूसरे स्थान पर रही थी, कांग्रेस को यहां 41.15 फीसदी वोट तो भाजपा को 31.26 फीसदी वोट मिले थे, सो इस बार यहां मुकाबला दिलचस्प रह सकता है।
बीजद और भाजपा गठबंधन के पेंचोखम
ओडिशा में बीजद और भाजपा का चुनावी गठबंधन लगभग तय हो चुका है, भाजपा ने नवीन पटनायक से आग्रह किया है कि ‘विधानसभा चुनाव में वे अपना शेयर बड़ा रख लें और लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी पार्टी के तौर पर चुनाव लड़ने दें।’ लोकसभा चुनाव में भाजपा ओडिशा की तकरीबन दो-तिहाई यानी 21 में से 14 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, वहीं बीजद के लिए वह मात्र 7 सीट छोड़ना चाहती है। बीजद भुवनेश्वर और पुरी की सीटों पर से अपना दावा वापिस लेने को तैयार नहीं।
…और अंत में
भाजपा की दूसरी लिस्ट आने ही वाली है और कई मंत्रियों को अपने टिकट कटने का भय सता रहा है। सो जब पिछले दिनों नई दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रियों की आखिरी बैठक ली तो कई मंत्री पीएम से वन-टू-वन मिल कर अपने दिल की बात करना चाहते थे। सूत्रों की मानें तो आर.के. सिंह जैसे मंत्रियों ने तो बकायदा एसपीजी के एक अधिकारी को अपने नाम की पर्ची भी पकड़ा दी कि ‘दो मिनट के लिए ही सही, एक बार पीएम से मिलवा तो दें’, पर सुरक्षा अधिकारियों ने इसे प्रोटोकॉल का उल्लंघन बताते हुए मंत्रियों की पर्चियां वापिस उन्हें पकड़ा दी यानी उनका पीएम से मिलने का सपना बस अधूरा ही रह गया।

– त्रिदीब रमण 

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