चंडीगढ़ : अनिल विज के गृहमंत्री बनने के बाद हरियाणा की सीआईडी असमंजस की स्थिति में थी अफसर यह तय नहीं कर पा रहे थे कि आखिर वह मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करे या गृहमंत्री को। बताया जाता है कि सीआईडी से रिपोर्ट अनिल विज भी लेना चाह रहे थे। अंदरखाते सीआईडी चीफ भी इस दुविधा में थे कि वह किसे रिपोर्ट करे क्योंकि गृह मंत्रालय अनिल विज के पास आ चुका है।
सूत्रों के अनुसार इस दुविधा से निकलने के लिए अफसरों ने ये हवाला दिया है कि हरियाणा में पहले भी कई बार ऐसा हुआ है कि गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री ने अपने पास नहीं रखा वह किसी अन्य सीनियर मंत्री को दे दिया मगर फिर भी सीआईडी मुख्यमंत्री को ही रिपोर्ट करती रही इसलिए सीआईडी अब भी मुख्यमंत्री को ही रिपोर्ट करेगी। हालांकि अभी तक अपनी बेबाकी के लिए जाने वाले गृहमंत्री अनिल विज कुछ नहीं बोल रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार अफसरों ने मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचा दी है कि वह रिपोर्टिंग आप तक करेंगे क्योंकि पहले भी ऐसा ही होता रहा है। बता दें, भाजपा-जेजेपी सरकार में अनिल विज सादगी और दबंगई को लेकर सबसे पावरफुल मंत्री हैं। अतीत की बात करें, तो वर्ष 2009 में कांग्रेस की हुड्डा सरकार में सिरसा से निर्दलीय विधायक चुने गए गोपाल कांडा को गृह राज्य मंत्री बनाया गया था, लेकिन विवादों में आने के बाद कांडा को इस्तीफा देना पड़ा।
2014 में मनोहर सरकार ने विज को स्वास्थ्य, खेल सहित अन्य महकमे दिए, लेकिन गृह विभाग सीएम मनोहर लाल के पास ही रहा। सन 1978 में मंगल सेन गृह मंत्री बने, मगर इनको CID की रिपोर्टिंग नहीं रही। सन 1990 में मुख्यमंत्री बनारसी दास ने संपत सिंह को गृह मंत्री तो बनाया, लेकिन CID का चार्ज अपने पास रखा। सन 1996 में बंसी लाल के नेतृत्व में हरियाणा विकास पार्टी (हविपा) व भाजपा की गठबंधन सरकार बनी, तो हविपा ने मनीराम गोदारा को गृह मंत्री बनाया था, लेकिन उस दौरान सीएम ने CID विंग अपने पास ही रखी।