प्रदेश के किसानों को बोनस देने के बाद सत्ताधारी दल इसे भुनाने में कोई कसर छोडऩे के मूड में नजर नहीं आ रही है। राज्य सरकार ने प्रदेश के 13 लाख पंजीकृत किसानों को ही बोनस देने का ऐलान किया है। हालांकि विपक्ष ने इसे आधा अधूरा बताते हुए पूरे राज्य के 38 लाख किसानों को दायरे में लेने की मांग की है। वहीं इसे सरकार की ओर से डैमेज कंट्रोल की कोशिश करार दिया है। इधर भ्रष्टाचार एवं बड़ी घटनाओं को लेकर घिरी रमन सरकार द्वारा बोनस का ऐलान कर विपक्ष को भटकाने बड़ा पैंतरा भी माना जा रहा है।
सत्ताधारी दल ने अब इस सप्ताह को सरकार के प्रति बोनस सप्ताह मनाने का ऐलान कर दिया है। सप्ताह भर तक राज्य में बोनस को लेकर अभियान चलाकर किसानों को साधने की कोशिश होगी। आगामी सात सितंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम के जरिए भाजपा माहौल बनाने की तैयारी में है। इधर झंझावतों में घिरी सरकार को इससे बड़ी राहत मिलने की भी संभावनाएं जताई जा रही है। राज्य विधानसभा के विशेष सत्र में बोनस के लिए राशि पारित करने की भी तैयारी शुरू हो गई है।
वहीं विशेष सत्र के तत्काल बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का छत्तीसगढ़ दौरा होगा। इस दौरे में भी भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष को जश्र में शामिल कर हवा का रूख मोडऩे की कोशिशें कर सकती है। इधर बोनस के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को फिर घेरने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। इस मामले में सरकार की ओर से मुख्यमंत्री की घोषणा और राज्य शासन के आदेश को विरोधाभास माना जा रहा है। विपक्ष ने इसी मुद्दे को उठाकर सरकार को सांसत में डालने की रणनीति तय की है।
दरअसल, मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद राज्य शासन ने राज्य के धान उत्पादन का जिक्र कर उत्पादन करने वाले किसानों को बोनस देने का आदेश में उल्लेख किया है। जबकि सरकार पंजीकृत 13 लाख किसानों को ही पात्र मानते हुए 2100 करोड़ का प्रावधान कर रही है। किसानों का बीते सालों के बकाए बोनस की राशि पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। वहीं घोषणा के तहत 2100 रुपए समर्थन मूल्य के वादे पर भी सरकार मौन है।