प्रदर्शनकारी किसान संघों ने छह जनवरी को प्रस्तावित अपने ट्रैक्टर मार्च को खराब मौसम के पूर्वानुमान के चलते मंगलवार को सात जनवरी के लिए टाल दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि वे आने वाले दिनों में अपने आंदोलन को तेज करेंगे।
सिंघू सीमा पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि नये कानूनों को जारी हुए ‘सात महीने हो गये’ और सरकार तब से अब तक किसानों के साथ सात दौर की वार्ता कर चुकी है लेकिन उसने किसानों के ‘सात शब्द’ भी नहीं सुने जो हैं: ‘हम कृषि कानूनों की वापसी चाहते हैं’।
गौरतलब है कि इन कानूनों को सितंबर में लागू किया गया था। इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अध्यादेश के रूप में इन्हें जून में मंजूरी दी थी और इन्हें लागू किया गया था।
किसान नेताओं ने कहा कि हजारों किसान सात जनवरी को सिंघू, टीकरी, गाजीपुर और शाहजहांपुर (हरियाणा-राजस्थान सीमा) में सभी प्रदर्शन स्थलों से कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) के लिए ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे।
यादव ने कहा कि बुधवार को खराब मौसम की संभावना के बाद मार्च को टालने का फैसला किया गया है।
पिछले तीन दिन से दिल्ली और आसपास के इलाकों में रुक-रुककर बारिश हो रही है।
किसान संघों ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को आने वाले दिनों में तेज किया जाएगा।
किसान नेता जोगिंदर नैन ने 26 जनवरी को दिल्ली के लिए प्रस्तावित एक और ट्रैक्टर मार्च के बारे में कहा, ‘‘हम हरियाणा के हर गांव से 10 ट्रैक्टर ट्रॉलियां भेजेंगे। हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि हर घर से कम से कम एक व्यक्ति और एक गांव से कुल 11 महिलाएं आएं।’’
हरियाणा पुलिस ने रविवार को रेवाड़ी जिले के मसानी बराज पर किसानों के एक समूह पर आंसूगैस के गोले छोड़ थे ताकि उन्हें दिल्ली की ओर बढ़ने से रोका जा सके। किसानों ने पहले भूदला संगवारी गांव के निकट रखे पुलिस अवरोधकों को पार किया और फिर शाम में दिल्ली की ओर बढ़ना शुरू कर दिया।
राजस्थान के किसान नेता रंजीत सिंह राजू ने कहा, ‘‘रेवाड़ी जिले में प्रदर्शनकारियों के दो समूह आए थे। एक 31 दिसंबर को और दूसरा तीन जनवरी को। पुलिस ने हमें तीन जनवरी को धारुहेड़ा से पांच किलोमीटर पहले रोक लिया। उन्होंने हम पर वहां आंसूगैस के कई गोले छोड़े।’’
केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए 28 नवंबर से पंजाब, हरियाणा और देश के अन्य कई हिस्सों से आए हजारों किसान दिल्ली की अनेक सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
ऑल इंडिया किसान संघर्ष कॉर्डिनेशनल कमेटी (एआईकेएसएससी) के नेता अवीक साहा ने मंगलवार को फेसबुक के माध्यम से संवाद करते हुए कहा कि सरकार ने दावा किया है कि किसानों की 50 प्रतिशत मांगें मान ली गयी हैं, लेकिन पहले दिन से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग सबसे ऊपर है।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने कोई दस्तावेज नहीं डाला है या किसान संगठनों के साथ साझा नहीं किया है जो स्पष्ट करता हो कि सरकार मान गयी है और इसे कैसे लागू करेगी।’’
प्रदर्शनकारी किसानों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच सोमवार को सातवें दौर की वार्ता बेनतीजा समाप्त हुई थी। किसान समूह तीनों कानूनों को वापस लिये जाने की अपनी मांग पर कायम रहे, वहीं सरकार ने नये कानून के अनेक लाभ दोहराये। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आठ जनवरी को आगामी बैठक में समाधान निकलेगा, लेकिन ताली दोनों हाथों से बजती है।