रायपुर : छत्तीसगढ़ के चुनावी मिशन में सत्ताधारी दल भाजपा का फोकस बस्तर में विशेष तौर पर नजर आ रहा है। सरकार ने भी बस्तर पर ही जोर देते हुए अभियानों के आगाज में बस्तर को शामिल किया है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने भारत आयुष्मान योजना का शुभारंभ भी बस्तर के बीजापुर से किया था। इधर रमन सरकार भी अपनी विकास यात्रा का आगाज दंतेवाड़ा जिले से किया है। इससे पहले लोक सुराज अभियान को भी बस्तर से शुरू किया गया था। दरअसल, छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य बस्तर अंचल में ही सत्ता की मास्टर चाबी मानी जाती है।
हालांकि यह मिथक बीते चुनाव में टूट चुका है। बीते चुनाव में बस्तर और सरगुजा में हार के बावजूद सत्ताधारी दल ने मैदानी क्षेत्रों की बदौलत ही सरकार बनाने में सफलता पाई थी। वहीं सरकार आदिवासी बेल्ट में विफल ही साबित हुई थी। आदिवासी बेल्ट में मतदाताओं ने सत्ताधारी दल को खारिज कर दिया था। यही वजह है कि सरकार का फोकस इस बार आदिवासी बेल्ट बस्तर में नजर आ रहा है।
बस्तर में बीते चुनाव में विपक्ष कांग्रेस ने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए जीत का परचम लहराया था। इस बार भाजपा बस्तर में कोई कसर बाकी छोडऩे के मूड में नहीं है। यही वजह है कि बस्तर में विकास को लेकर कवायदें हो रही है। हालांकि बस्तर में नक्सलवाद की वजह से विकास कार्य की गति काफी धीमी है।
सीएम ने विकास यात्रा का आगाज दंतेवाड़ा से कर सूबे में संदेश देने की कोशिशें की है। हालांकि अब बस्तर में सरकार के फोकस का राजनीतिक समीकरणों में किस तरह का असर होगा। इस पर अभी से कुछ कहना जल्दबाजी होगा। इसके बावजूद सत्ता के साथ संगठन ने भी यहां ताकत झोंकी हुई है। वहीं विपक्ष ने बस्तर में आदिवासी विरोधी नीतियों को उछालकर हवा का रूख अपने पक्ष में कायम रखने की कोशिशें की है।
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