श्योपुर : स्वास्थ्य विभाग के अधीन कार्यरत खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के खाद्य सुरक्षा अधिकारी सेंपलिंग के नाम पर क्या कार्रवाई कर रहे हैं,कहीं वे फर्जी आंकडे तो नहीं जुटा रहे,दिनभर क्या कार्रवाई की,कितने सेंपल लिए? आदि की जानकारी पर नजर रखने के लिए एफएसएसएआई ने एक नया साफ्टवेयर ईजाद किया है,जो संभवत:इसी महीने से श्योपुर सहित प्रदेशभर में काम करना प्रारंभ कर देगा। इसके लिए संबंधित अधिकारियों को हाईटेक किया जाएगा। इस साफ्टवेयर के अस्तित्व में आते ही खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की मनमानी पर अंकुश लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी कहां जा रहे हैं,क्या कर रहे हैं,किस सामग्री की जांच कर रहे हैं,कितना समय लग रहा है,वे जो आंकडे जुटा रहे हैं,वे वास्तविक हैं या फर्जी? आदि बातों का रिकार्ड अब साफ्टवेयर में रखा जाएगा। इसमें फूड इंस्पेक्टरों द्वारा की जाने वाली मॉनीटरिंग एवं सेंपलिंग की पल-पल की जानकारी दर्ज होगी। यदि जांच गाइड लाइन के खिलाफ हुई है तो वह ट्रेस हो जाएगी। फूड सेफ्टी कम्पलाइंस थ्रू रेगूलर इंस्पेक्शन एंड सेंपलिंग (फोस्कोरिस) नाम के इस ऑनलाइन प्लेटफार्म को साफ्टवेयर से जोडा जाएगा। इस सिस्टम की शुरूआत चालू माह के अंत तक होने की संभावना है।
साफ्टयेवर से हर बिजनेस की ग्रेड तय होगी। इंस्पेक्टर व्यवसाय के हिसाब से उसका नाम और वहां मौजूद स्थितियों के आधार पर उसे रैंक देंगे। इसमें सामग्री की क्वालिटी,जगह का चुनाव, साफ-सफाई आदि बातों पर ग्रेडिंग होगी। इस डाटा के आधार पर तय होगा कि देश में इस वक्त कौन सी पैकेज कमोडिटी किस स्तर पर है। उसी हिसाब से एफएसएसएआई अपनी योजना बनाएगा। खाद्य विभाग के अफसर अपने-अपने तरीके से खाद्य पदार्थों की जांच करते हैं, इससे आंकडों में गलती की आशंका बनी रहती है। इस साफ्टवेयर के अस्तित्व में आने से गलती की संभावनाएं भी खत्म हो जाएंगी।
पता चल सकेगा मिलावट का ट्रेंडः साफ़्टवेयर में अलग-अलग शहरों में फैल होने वाले सैंपलों का डाटा भी दर्ज होगा। इससे पता चलेगा कि किस वस्तु में मिलावट का क्या टें्रड है। उस हिसाब से वस्तुओं पर ध्यान केन्द्रित किया जा सकेगा। जानकारी के मुताबिक साफ्टवेयर में फिल्टर रहेगा। विभाग के अधिकारी जिस वस्तु में मिलावट की दर देखना चाहेंगे,उनके सामने उसकी रिपोर्ट आ जाएगी। यदि दूध में मिलावट के केस ज्यादा रहे हैं तो विभाग अपनी जांच के केन्द्र में दूध को लाएगा।
बेसन के सेंपल फैल ज्यादा हैं,तो उस हिसाब से बेसन की सेंपलिंग की जाएगी। साफ्टवेयर में हर शहर का अलग-अलग डॉटा दर्ज होगा। जहां जैसी स्थिति होगी,वहा वैसेी रिपोर्ट मिलेगी। अधिकारी ऑनलाइन देख तय कर सकेंगे किस शहर में कैसे हालात हैं? ठंडी पड़ी हैं जिले में सेंपलिंग की कार्रवाईः श्योपुर जिले में पिछले कई माह से खाद्य पदार्थों की सेंपलिंग की कार्रवाई पूरी तरह ठंडी पडी हुई है। इसकी वजह दो खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के ट्रांसफर हो जाना है और उनके बदले दूसरे अधिकारियों का नहीं आना है।
जिले में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की तीन पोस्ट हैं,लेकिन वर्तमान में महज एक ही खाद्य सुरक्षा अधिकारी पदस्थ हैं,जिसके चलते सेंपलिंग की कार्रवाई में तेजी तो दूर हो ही नहीं पा रही है और इस बात का खाद्य पदार्थ बेचने वाले धडल्ले से फायदा उठाते हुए मिलावट कर रहे हैं। मिलावटी चीजें खाने से लोगों की सेहत पर विपरीत असर पड रहा है, लेकिन इस दिशा में न तो खाद्य सुरक्षा अधिकारी का कोई ध्यान है और न हीं जिला प्रशासन के नुमाइंदों का, तभी तो सेंपल नहीं भरेजा रहे हैं।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी गिरीश राजोरिया का कहना है कि यह बात सही है कि खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के कार्य में निगरानी रखने के लिए नया साफ्टवेयर तैयार किया है, लेकिन यह साफ्टवेयर कब से काम करना शुरू करेगा। इसकी अभी तक अधिकृत रूप से कोई जानकारी या दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। जैसे निर्देश आएंगे,उस हिसाब से काम शुरू किया जाएगा।
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