रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए 1500 करोड़ रूपए से चिराग योजना शुरू करने जा रही है। राज्य के कृषि एवं जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आज यहां रमन सरकार के 14 वर्ष के कार्यकाल में अपनी विभागीय उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि केन्द्र, सरकार के साथ मिलकर शुरू की जा रही इस योजना को अनुमोदन के लिए भेजा जा चुका है।
इसके लिए विश्व बैंक से आर्थिक मदद ली जायेगी। इस योजना में लगभग चार लाख किसान परिवारों को जोड़ा जाएगा। उनके उत्पादन समूह बनाए जाएंगे और लगभग छह हजार कृषि उद्यमों की स्थापना की जाएगी। करीब 50 हजार युवाओं को भी चिराग योजना से जोड़कर उन्हें खेती-किसानी से संबंधित कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि राज्य में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए छत्तीसगढ़ में नदियों को आपस में जोड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए इंटर लिकिंग परियोजना बनाई गई है और सर्वेक्षण करवाया जा रहा है। इनमें महानदी-तांदुला, पैरी-महानदी, रेहर, अटेम, अहिरन-खारंग और हसदेव-केवई इंटरलिकिंग परियोजना शामिल हैं। इन नदियों में निर्मित सिंचाई बांधों में जब शत-प्रतिशत जल भराव हो जाएगा तो उसके बाद वहां के अतिरिक्त पानी का समुचित उपयोग करने के लिए यह परियोजना तैयार की गई है।
श्री अग्रवाल ने बताया राज्य सरकार ने 14 साल में जल संसाधन विभाग का बजट 493 करोड़ 90 लाख रूपए से बढ़कर 3155 करोड़ रूपए कर दिया है। इस प्रकार विभाग के बजट में सात गुना वृद्धि हुई है। प्रदेश में अनेक स्वीकृत और निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं को अभियान चलाकर पूर्ण किया गया है। इसके फलस्वरूप राज्य की सिंचाई क्षमता 23 प्रतिशत से बढ़कर 36 प्रतिशत हो गई है।
अब तक 20 लाख 59 हजार हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता निर्मित की जा चुकी है।छत्तीसगढ़ दलहन चिराग योजना दो अन्तिम रायपुर श्री अग्रवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत केन्द, सरकार ने पूरे देश में जिन 99 योजनाओं को चिन्हांकित किया है, उनमें छत्तीसगढ़ की तीन सिंचाई परियोजनाएं केलो, खारंग और मनियारी भी शामिल हैं।
इन तीनों योजनाओं का निर्माण पूर्ण होने पर 42 हजार 625 हेक्टेयर के अतिरिक्त रकबे में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार होगा। राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के नवीन बजट में इन योजनाओं को फास्टट्रेक में शामिल कर दो करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। उन्होने कहा कि गत 14 वर्ष में केन्द, सरकार से राज्य को चार कृषिकर्मण पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
इनमें से तीन पुरस्कार चावल उत्पादन पर और एक पुरस्कार दलहन उत्पादन पर मिला है। श्री अग्रवाल ने बताया कि गत 14 वर्ष में कृषि विभाग का बजट लगभग 184 करोड़ रूपए से बढ़कर वर्तमान में 1887 करोड़ 64 लाख रूपए हो गया है, जो वर्ष 2003-04 की तुलना में 926 प्रतिशत ज्यादा है।
गत 14 वर्ष में राज्य में धान के उत्पादन में 47 प्रतिशत, तिलहन के उत्पादन में 158 प्रतिशत और दलहन के उत्पादन में 43 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि मंत्री ने बताया कि विभिन्न फसलों के उन्नत बीज उत्पादन में भी छत्तीसगढ़ 14 साल में आत्मनिर्भर हो गया है।
इस अवधि में राज्य में उन्नत बीजों का उत्पादन 44 हजार 400 कि्वंटल से बढ़कर वर्ष 2016-17 तक दस लाख 50 हजार कि्वंटल अर्थात् 23 गुना हो गया है। बीजों के भंडारण की क्षमता बढ़ने के लिए भी कृषि विभाग ने शानदार काम किया है।
श्री अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में फलों की खेती का रकबा भी इस दौरान 580 प्रतिशत बढ़ा है। वर्ष 2003-04 में यह रकबा लगभग 37 हजार हेक्टेयर था, जो आज की स्थिति में बढ़कर दो लाख 50 हजार हेक्टेयर से ज्यादा हो गया है और फलों के उत्पादन में 875 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। राज्य में फल उत्पादन दो लाख 54 हजार मीटरिक टन से बढ़कर 24 लाख 77 हजार मीटरिक टन तक पहुंच गया है। सब्जियों की खेती के रकबे में 359 प्रतिशत, फूलों की खेती के रकबे में 914 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।