प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत में बताया कि वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाला मामले में सरकारी गवाह बने राजीव सक्सेना ने खुलासा किया है कि 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में दलाली को कई उन संस्थाओं और व्यक्तियों को हस्तांतरित किया गया जिनके कथित रक्षा एजेंट सुशेन मोहन गुप्ता के साथ सीधे संबंध थे।
विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार ने गुप्ता को चार दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया। हालांकि एजेंसी ने उसकी 14 दिन की हिरासत मांगी थी। एजेंसी ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गुप्ता को सोमवार रात गिरफ्तार किया था।
ईडी के विशेष लोक अभियोजकों डी पी सिंह और एन के मत्ता ने अदालत को बताया कि मामले में गुप्ता की भूमिका सक्सेना द्वारा किए गए खुलासे के आधार पर सामने आई थी।
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राजीव सक्सेना को दुबई से प्रत्यर्पित करके लाया गया था और एजेंसी ने यहां उसे गिरफ्तार कर लिया था और बाद में वह सरकारी गवाह बन गया था।
एजेंसी ने दावा किया, ‘‘जांच के दौरान, सक्सेना ने अपने बयानों में कहा कि एक कपंनी इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज, जिसे अगस्ता वेस्टलैंड दलाली प्राप्त हुई थी,को आरोपी गौतम खेतान और गुप्ता द्वारा नियंत्रित किया गया था।’’
एजेंसी ने कहा कि गुप्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ किये जाने की जरूरत है क्योंकि उसने अस्पष्ट जवाब दिये है और इस सौदे में कथित लेन-देन से उसके सीधे जुड़े होने के सबूत है।
गुप्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं पी वी कपूर और सिद्धार्थ अग्रवाल ने अदालत को बताया कि हिरासत में दिये जाने की ईडी की मांग एक व्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है। उन्होंने इन आरोपों को खारिज किया कि उनके (गुप्ता) जवाब अस्पष्ट थे।
वकीलों ने हिरासत में लेकर पूछताछ किये जाने संबंधी याचिका का विरोध किया और दावा किया कि गुप्ता ने जांच में सहयोग किया है और भविष्य में भी वह ऐसा करने के इच्छुक है।
गुप्ता परिवार के करीबी सूत्रों ने इन आरोपों को खारिज किया और कहा , ‘‘उनके खिलाफ लगाये गये ये आरोप पूरी तरह से आधारहीन है। अगस्ता वेस्टलैंड में उन्होंने किसी तरह का कोई लेन-देन नहीं किया है और उन्हें अनावश्यक रूप से निशाना बनाया जा रहा है।’’