जम्मू एवं कश्मीर में बुधवार को राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो गया कि कांग्रेस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) राज्य में गठबंधन सरकार बनाने के लिए गंभीर बातचीत में जुटी हैं।
यहां रिपोर्ट में बताया गया कि तीनों दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्य में सरकार के गठन के लिए तीसरे मोर्चे के समर्थन के प्रयासों को विफल करना चाहते हैं। राज्य में फिलहाल राज्यपाल शासन लागू है जो अगले महीने समाप्त हो रहा है।
वरिष्ठ पीडीपी नेता व पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी ने एनसी के उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से एनसी के समर्थन से पीडीपी और कांग्रेस द्वारा संभावित सरकार गठन की रूपरेखा पर चर्चा की है।
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संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक, अगर राज्यपाल एक व्यवहार्य सरकार के गठन को लेकर संतुष्ट नहीं होते हैं तो राज्य में अगले महीने राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
एनसी के बाहरी समर्थन से पीडीपी और कांग्रेस द्वारा सरकार के गठन की खबरों को बल मिला है क्योंकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद कुछ संवाददाताओं से पुष्टि कर चुके हैं कि तीनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है, जिससे राज्य में भाजपा को सत्ता से दूर रखा जा सकता है।
आजाद ने कहा कि हालांकि इस प्रकार से सरकार गठन का कोई तत्काल संकेत नहीं है लेकिन तीनों दलों के बीच इसे लेकर बातचीत चल रही है। 87 सदस्यीय राज्य विधानसभा में पीडीपी के 28, भाजपा के 26, एनसी के 15, कांग्रेस के 12, पीपुल्स कांफ्रेंस के दो और चार निर्दलीय विधायक हैं।
सज्जाद लोन की पीपुल्स कांफ्रेंस द्वारा समर्थित पीडीपी से असंतुष्ट नेता जब से राज्यपाल शासन लागू हुआ है, तब से राज्य में भाजपा के समर्थन से सरकार गठन की बात कर रहे हैं। सज्जाद लोन संभावित तीसरे मोर्चे के नेता के रूप में उभर रहे हैं, जो भविष्य में पीडीपी और एनसी का विकल्प मुहैया करा सकते हैं।
पीडीपी के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सदस्य मुजफ्फर हुसैन ने मंगलवार को उस वक्त हलचल मचा दी जब उन्होंने कहा था कि अगर राज्य में तीसरा मोर्चा गठित होता है तो वह सज्जाद लोन का हाथ थामेंगे।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक का कहना है कि अगर राज्य में अगले महीने राष्ट्रपति शासन लग जाता है तो भी राज्य विधानसभा को भंग नहीं किया जा सकेगा।