केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने केरल की वामपंथी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति पर चलते हुए लेफ्ट की राज्य सरकार ने खिलाफत आंदोलन के 100 साल पूरे होने पर समारोह मनाने का जो फैसला किया है, वो गलत है और संघ पुरजोर तरीके से इसका विरोध करता है।
संघ ने लेफ्ट सरकार पर इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 10 हजार से ज्यादा हिंदुओं का नरसंहार करने वाले लोगों को महिमामंडित करने का प्रयास किया जा रहा है। आरएसएस के वरिष्ठ नेता और प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे नंदकुमार ने कहा कि संघ 100 साल पहले हिंदुओं का नरसंहार करने वालों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बताकर महिमामंडित करने के हर प्रयास का विरोध करेगा।
उन्होंने बताया कि इस साजिश का पदार्फाश करने और लोगों को सच बताने के लिए संघ 25 सिंतबर को दिल्ली में एक प्रदर्शनी का आयोजन करेगा , जहां तस्वीरों के माध्यम से देश को सच बताया जाएगा। इसके साथ ही 26 सितंबर को संघ दिल्ली में एक सेमिनार का आयोजन भी करेगा। जे नंदकुमार ने कहा कि 100 साल पहले चलाए गए खिलाफत आंदोलन का देश की आजादी की लड़ाई से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन उस समय केरला के मोपला में सांप्रदायिक हिंसा करने वाले लोगों की तुलना भगत सिंह से की जा रही है और संघ इन प्रयासों की निंदा करता है।
केरल की लेफ्ट सरकार के साथ-साथ खिलाफत आंदोलन पर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने वाले लोगों पर निशाना साधते हुए संघ के नेता ने कहा कि आरएसएस की मांग है कि हिंसा में मारे गए लोगों की याद में केरल में जेनोसाइड मेमोरियल बनाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि नरसंहार करने वाले लोगों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बताना भी बंद होना चाहिए और इस आधार पर जिन-जिनके परिवारों को पेंशन दे जा रही है, उसे तत्काल बंद किया जाए।
केरल की लेफ्ट सरकार के साथ-साथ खिलाफत आंदोलन पर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने वाले लोगों पर निशाना साधते हुए संघ के नेता ने कहा कि आरएसएस की मांग है कि हिंसा में मारे गए लोगों की याद में केरल में जेनोसाइड मेमोरियल बनाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि नरसंहार करने वाले लोगों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बताना भी बंद होना चाहिए और इस आधार पर जिन-जिनके परिवारों को पेंशन दे जा रही है, उसे तत्काल बंद किया जाए।