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मेघालय कोयला खदान हादसा : पांच खनिक फंसे खदान में, बारिश से हो रहा है बचाव अभियान बाधित

मेघालय के जयंतिया जिले में एक अवैध कोयला खदान में दो दिनों से फंसे कम से कम पांच खनिकों के लिए चलाए जा रहे राहत एवं बचाव अभियान में मंगलवार को वर्षा की वजह से बाधा आई अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी।

मेघालय के जयंतिया जिले में एक अवैध कोयला खदान में दो दिनों से फंसे कम से कम पांच खनिकों के लिए चलाए जा रहे राहत एवं बचाव अभियान में मंगलवार को वर्षा की वजह से बाधा आई अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी। जिला प्रशासन ने बताया कि उनमें से चार श्रमिक असम और एक त्रिपुरा के हैं। ये सभी सुतंगा एलाका के सुदूर उमप्लेंग क्षेत्र में कोयला खदान में रविवार को तब से फंसे हैं जब डायनामाइट विस्फोट के बाद उसमें पानी भर गया था। 
सिलचर के पुलिस अधीक्षक ने यहां प्रशासन को इस खदान दुर्घटना में असम के छह खनिकों के फंसे होने की आशंका के बारे में सूचना भेजी थी। जिला उपायुक्त ई खर्मालकी ने कहा कि भारी वर्षा से बचाव अभियान में रूकावट आयी। राज्य आपदा मोचन बल के 25 कर्मी एवं अग्निशमन सेवा के कर्मी दुर्घटनास्थल पर हैं। उन्होंने कहा कि हम पहले खदान की गहराई का पता लगाने के लिए क्रेन लाने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उच्च क्षमता वाला एक पंप भी मंगाया गया है लेकिन उसे तब लगाया जाएगा जब गोताखोर अंदर जाकर यह पता लगा लें कि वहां कोई भी व्यक्ति जीवित बचा भी है या नहीं। जिला प्रशासन ने नोटिस जारी करके 30 मई की इस हादसे में बारे में लोगों से सूचनाएं मांगी है। इस आदेश में कहा गया है, ‘‘ इस विषय में जिस किसी व्यक्ति को जानकारी है, उसे आठ जून या उससे पहले पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न तीन बजे तक उपायुक्त कार्यालय में आने का अनुरोध है।’’
वैसे स्थानीय लोगों का कहना है कि खदान में फंसे किसी भी खनिक के जिंदा बाहर आने की संभावना बिल्कुल क्षीण है, वैसे जिला प्रशासन उनतक पहुंचने का भरसक कोशिश कर रहा है। सतुंगा एलाका के एक बुजुर्ग ने कहा कि यह खदान 100 फुट तक तबतक लंबवत खोदी गई  जब तक कोयले की परत नजर नहीं आई। उसके बाद फिर कोयला निकालने के लिए छोटी लंबवत सुरंगें खोदी गई। पानी से भरी खदान का मतलब है कि सभी सुरंगों में पानी भर जाना।
पुलिस अधीक्षक जगपाल सिंह धनोआ ने बताया कि खदान के प्रबंधक को पकड़ने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। खदान प्रबंधक इस हादसे के बाद फरार हो गया और उसने लोगों को इसका खुलासा नहीं करने की धमकी भी थी। गौरतलब है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 2014 में अपने एक फैसले में असुरक्षित और अवैज्ञानिक तरीके से कोयला खनन और उसके परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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