उत्तराखंड में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) का स्थायी परिसर स्थापित करने के मामले में बुधवार को उच्च न्यायालय ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह को रिपोर्ट पेश करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति नारायण सिंह धनिक की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार स्थायी परिसर बनाने को लेकर चार स्थानों की सूची कोर्ट को में पेश करे। मामले में अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी।
याचिकार्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि केन्द्र सरकार की ओर से आज न्यायालय को बताया गया कि लोकसभा चुनावों के कारण देश में आचार संहिता लागू है। इसलिये इस मामले कोई कदम नहीं उठाया जाये और इसे मई तक स्थगित कर दिया जाए लेकिन न्यायालय ने केन्द्र सरकार के अनुरोध को ठुकरा दिया। न्यायालय ने केन्द्र सरकार से पूछा है कि एनआईटी के उत्तराखंड स्थित परिसर से संबंधित नये प्रवेश कहां किये जायेंगे, इस संबंध में एक रिपोर्ट न्यायालय में पेश करें।
केन्द्र सरकार को 24 अप्रैल तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिया गया है। इस मामले को उधमसिंह नगर निवासी जसबीर सिंह की ओर से जनहित याचिका दायर की हुयी है। श्री नेगी ने यह भी बताया कि न्यायालय ने एनआईटी परिसर को प्रदेश से बाहर(जयपुर) स्थानांतरित किये जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त है।
पिछले वर्ष दिसंबर में श्रीनगर स्थित अस्थायी परिसर से एनआईटी के प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष के छात्रों को जयपुर परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया था। इसके बाद न्यायालय ने केन्द्र और राज्य सरकार व एनआईटी से जवाब पेश करने को कहा था। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने सन् 2009 में उत्तराखंड में राष्ट्रीय महत्व के एनआईटी संस्थान के गठन की घोषणा की थी।
देश में अपनी तरह का यह 31वां संस्थान है लेकिन दुर्भाज्ञ से प्रदेश सरकार श्रीनगर में आज तक एनआईटी का स्थायी परिसर स्थापित नहीं कर पायी। एक पॉलिटेक्निक कालेज परिसर में एनआईटी संस्थान चलाया जा रहा है। एनआईटी के छात्रों की ओर से इस मामले में कई बार आंदोलन चलाया गया। इसके बाद पिछले साल अंत में एनआईटी प्रशासन ने कक्षाओं को जयपुर परिसर में स्थानांतरित कर दीं।