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Mohammed Shami के कोच Badruddin ने बताया उनकी सीम का राज

भारत में क्या चल रहा अगर यह सबसे पुछा जाए तो केवल एक ही चीज सभी के मुँह से आएगा की भारत में तो शमी चल रहा है. जी हा  Mohammed Shami की स्टोरी ऐसी चल रही की किसी लेखक की स्टोरी भी कम पड़ जाएगी क्यों है ही ऐसी कहानी जो सबके मुख में है लेकिन सीम की बात की जाए तो Mohammed Shami किसी को भी पीछे छोड़ सकते है क्यों की उनकी गेंदबाजी ही ऐसी है जिस तरह वह गेंदबाजी कर रहे उसे देख के बिलकुल ऐसा ही लगरहा है00

Mohammed Shami ट्रेनिंग के लिए सोनकपुर जाते थे और इनको ढूंढा आज तक के जगत गौतम आप सोच रहे होंगे किसको तो हम बतादे की की Mohammed Shami के कोच शमी के प्रोफ़ेशनल करियर की शुरुआत भी सोनकपुर स्टेडियम से ही हुई. इससे पहले वो कहीं नहीं खेलते थे, सिर्फ़ गांव में. कोच ने बताया कि 2002 में शमी के पिता उनको सोनकपुर स्टेडियम लाए थे. पिता ने बताया कि 13-14 साल के शमी की गेंदबाज़ी के चर्चे पूरे अमरोहा में हैं. तो कोच ने कहा कि लगातार 30 मिनट गेंद फेंको. बदरुद्दीन बताते हैं,1662578704

जो गेंद वोह पहले ओवर में फेकते है वोह 30 ओवर में भी फेक सकते है इतना उनकी कलाई में दम रहता है. Mohammed Shami की बात करे तो शमी ने बचपन से बड़े हुई वोह प्रैक्टिस करते रहे प्रैक्टिस करते रहे. 16 बरस के हुए, तो अंडर-19 के ट्रायल के लिए गए. वहां भी बढ़िया परफ़ॉर्म किया, लेकिन आख़िरी राउंड में छंट गए. बहुत ज़्यादा उदास हो गए. कोच ने संभाला, कि पहली बार में ही इतना बेहतर परफ़ॉर्मैंस है. आगे तो आसमान है ही.1200 675 20038096 thumbnail 16x9 ms

कोच बदरुद्दीन ने बताया कि शमी हर रोज़ उनसे पहले ही आ जाते थे. बोले,”जून में बहुत तेज़ गर्मी होती थी. पसीने में तरकर भी वो बोल डालता रहता था. कई बार तो हम परेशान हो जाते थे, कि कहीं ये पागल-वागल न हो जाए. शुरू से ही उसमें बहुत जुनून था. इसी वजह से वो आज इतना आगे बढ़ पाया है.”शमी की सीम पर महारत है, इसीलिए कोच अपनी अकैडमी के नए स्टूडेंट्स से भी कहते हैं कि अगर शमी जैसी कलाई की कला आ गई, तो एक बेहतर बॉलर बन जाओगे.371384 1शमी गेंद फेंकते हैं, तो लोग कहते हैं कि उनकी सीम बिल्कुल ‘सीमलेस’ है. यानी मुश्किल से मुश्किल गेंद बहुत आसानी से फेंक लेते हैं. इसके पीछे सालों की जी-तोड़ मेहनत है जिसके गवाह हैं उनके कोच बदरुद्दीन. इसीलिए शमी के नाम अज़हर फ़राग़ का एक शेर –

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