आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों के लिए सरकारी ही नहीं निजी अस्पतालों के भी दरवाजे खोल दिए - PM मोदी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों के लिए सरकारी ही नहीं निजी अस्पतालों के भी दरवाजे खोल दिए – PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आज हमारा पूरा देश स्वास्थ्य सुविधाओं के परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और पिछले नौ वर्षों में पहली बार गरीब से गरीब व्यक्ति को भी यह अहसास हुआ है कि देश के अस्पताल उसके लिए भी आसानी से उपलब्ध हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आज हमारा पूरा देश स्वास्थ्य सुविधाओं के परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और पिछले नौ वर्षों में पहली बार गरीब से गरीब व्यक्ति को भी यह अहसास हुआ है कि देश के अस्पताल उसके लिए भी आसानी से उपलब्ध हैं।
प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को राजस्थान के सिरोही जिले के आबू रोड में ब्रह्माकुमारीज संस्था के कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इसमें आयुष्मान भारत योजना की बड़ी भूमिका रही है। आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों के लिए सरकारी ही नहीं निजी अस्पतालों के भी दरवाजे खोल दिए हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि इस योजना के तहत 5 लाख रुपए तक के इलाज का खर्च सरकार वहन करती है। देश के चार करोड़ से ज्यादा गरीब इस योजना का लाभ उठा चुके हैं। अगर आयुष्मान भारत योजना नहीं होती तो इस इलाज के लिए उन्हें अपनी जेब से 80 हजार करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते। इसी तरह जन औषधि केंद्रों पर सस्ती दवा उपलब्ध होने से गरीब और मध्यम वर्ग के लिए 20 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी।
उन्होंने कहा कि आप लोगों को बताएं कि हमारे ब्रह्माकुमारी संस्थान की देश के हर गांव में इकाइयां हैं, ऐसे जनऔषधि केंद्र सरकार द्वारा चलाए जाते हैं, मानक दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन बाहर की दवाएं आपको 100 रुपये में मिलती हैं।’ लेकिन यहां ये 10-15 रुपए में मिल जाते हैं। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि गरीबों की कितनी सेवा की होगी। तो हमारी सभी इकाइयां चाहे ब्रह्मा कुमार हों या ब्रह्मा कुमारियां, उन्हें लोगों के बीच इस जागरूकता को लाना चाहिए और ये जन औषधि केंद्र देश में विभिन्न स्थानों पर स्थापित किए गए हैं। आपके संपर्क में आए हुए लोग आपको हमेशा आशीर्वाद देंगे।’ 
उन्होंने आगे कहा कि अब अगर किसी परिवार में कोई बुजुर्ग है जो मधुमेह से पीड़ित है तो दवाओं पर 1200, 1500, 2000 रुपये तक खर्च हो जाता है। लेकिन अगर वह इस जन औषधि केंद्र से दवा लेता है तो शायद वह खर्च 1500, 1000 रुपये से घटाकर 100 रुपये हो जायेगा। उनके जीवन में बहुत मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में एक चुनौती डॉक्टरों, नर्सों और अन्य चिकित्सा कर्मियों की कमी भी रही है। पिछले नौ वर्षों में इस कमी को दूर करने के लिए देश में अभूतपूर्व कार्य हुआ है। पिछले नौ वर्षों में हर महीने औसतन एक नया मेडिकल कॉलेज बना है। 2014 से पहले के 10 सालों में 150 से भी कम मेडिकल कॉलेज बने थे।

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