एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा देश में बहुदलीय संसदीय लोकतंत्र और संघवाद के लिए त्रासदी होगी और ऐसा लगता है कि इस पर विचार करने के लिए समिति का गठन बस औपचारिकता है। केंद्र सरकार ने एकसाथ चुनाव कराने की संभावनाएं खंगालने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनायी है।
आगामी विधानसभा चुनावों के कारण एलपीजी के दाम घटे
This is the notification appointing the committee that will look into #OneNationOneElection. It is the clear that this is just a formality and the govt has already decided to go ahead with it. One nation one election will be a disaster for multiparty parliamentary democracy &… pic.twitter.com/sgKxOvG75A
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 3, 2023
ओवैसी ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, ‘‘ यह उस समिति की नियुक्ति की अधिसूचना है जो एक राष्ट्र, एक चुनाव पर गौर करेगी। यह स्पष्ट है कि यह बस औपचारिकता है और सरकार पहले ही इस दिशा में आगे बढ़ने का निर्णय ले चुकी है। एक राष्ट्र, एक चुनाव बहुदलीय संसदीय लोकतंत्र और संघवाद के लिए त्रासदी होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आगामी विधानसभा चुनावों के कारण एलपीजी के दाम घटाने पड़े और वह एक ऐसा परिदृश्य चाहते हैं जहां यदि वह चुनाव जीत जाएं तो वह बिना किसी जवाबदेही के अगले पांच साल ‘जनविरोधी’ नीतियां के साथ निकाल दें।
राष्ट्रपति के उच्च पद की गरिमा घटी
पोस्ट में कहा, ‘‘ मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति को एक सरकारी समिति का प्रमुख नियुक्त कर राष्ट्रपति के उच्च पद की गरिमा घटा दी है। राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता को इसमें क्यों शामिल किया गया है?’’ उनके अनुसार समिति के अन्य सदस्यों की स्पष्ट तौर पर सरकार समर्थक दृष्टिकोण है जो सार्वजनिक रूप से उनके द्वारा दिये गये बयानों से स्पष्ट है। ओवैसी ने कहा कि ऐसे किसी प्रस्ताव को लागू करने के लिए भारत के संविधान के कम से कम पांच अनुच्छेदों और कई वैधानिक कानूनों को संशोधित करना पड़ेगा।
संविधान की मूल भावना और संघवाद के मूल स्वभाव के विपरीत
उन्होंने दावा किया कि प्रस्ताव अपने आप में ही संविधान की मूल भावना और संघवाद के मूल स्वभाव के विपरीत है। उन्होंने कहा कि समिति का कार्यक्षेत्र “मतदाताओं की इच्छा के विरूद्ध है तथा यह जनता की आवाज को पराजित करेगा एवं यह कृत्रिम कवायद है।”