Udhayanidhi Stalin: 'सनातन' पर टिप्पणी करना Udhayanidhi Stalin को पड़ा भारी, SC ने पूछा ये सवाल

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‘सनातन’ पर टिप्पणी करना Udhayanidhi Stalin को पड़ा भारी, SC ने पूछा ये सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु के खेल मंत्री और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन से ‘सनातन धर्म’ को खत्म करने की उनकी टिप्पणी पर सवाल उठाया और उनसे कहा कि वह “एक आम आदमी नहीं बल्कि एक मंत्री हैं”।न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने स्टालिन के वकील से कहा कि मंत्री कोई आम आदमी नहीं बल्कि एक मंत्री हैं और उन्हें अपनी टिप्पणी के परिणामों के बारे में पता होना चाहिए।

  • ‘सनातन’ पर टिप्पणी करना Udhayanidhi Stalin को पड़ा भारी
  • Stalin को टिप्पणी के परिणामों के बारे में पता होना चाहिए- SC

कर्नाटक, बिहार और जम्मू-कश्मीर तथा महाराष्ट्र में दर्ज

स्टालिन ने अपनी टिप्पणियों को लेकर कई राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।स्टालिन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत से सभी प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने की राहत मांगी और कहा कि प्राथमिकियां उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार और जम्मू-कश्मीर तथा महाराष्ट्र में दर्ज हैं।पीठ ने स्टालिन पर नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्हें रीमेक बनाने से पहले परिणाम जानना चाहिए था।

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यह अभियोजन पक्ष के समक्ष उत्पीड़न

पीठ ने पूछा, “आप भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हैं और फिर अनुच्छेद 32 के तहत सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में आते हैं? क्या आप नहीं जानते कि आपने जो कहा उसके परिणाम क्या होंगे?”सुनवाई के दौरान सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी, नूपुर शर्मा, मोहम्मद जुबैर और अमीश देवगन के मामलों पर भरोसा किया, जहां शीर्ष अदालत ने एफआईआर को क्लब करने पर सहमति व्यक्त की थी।”अगर मुझे छह उच्च न्यायालयों में जाना पड़ा, तो मैं लगातार इसमें बंधा रहूंगा। यह अभियोजन पक्ष के समक्ष उत्पीड़न है।”

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जाति व्यवस्था और ऐतिहासिक भेदभाव में निहित

इस पर पीठ ने टिप्पणी की, “आप आम आदमी नहीं हैं। आप एक मंत्री हैं। आपको परिणाम पता होना चाहिए।”इसके बाद पीठ ने मामले को 15 मार्च को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।डीएमके नेता स्टालिन ने ‘सनातन धर्म’ की तुलना ‘मलेरिया’ और ‘डेंगू’ जैसी बीमारियों से करते हुए इस आधार पर इसे खत्म करने की वकालत की कि यह जाति व्यवस्था और ऐतिहासिक भेदभाव में निहित है।उनकी टिप्पणी से पूरे देश में बड़े पैमाने पर राजनीतिक विवाद पैदा हो गया। इसके चलते उनके खिलाफ कई आपराधिक शिकायतें दर्ज की गईं।

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