उत्तर प्रदेश के चर्चित हाथरस कांड में राज्य सरकार ने कड़ी कार्रवाई की है। अब इस मामले में आरोपियों के साथ-साथ पीड़ित पक्ष का भी पॉलीग्राफ और नारको टेस्ट कराया जाएगा। सरकार ने इस बात का फरमान एसआईटी की पहली रिपोर्ट मिलने के बाद किया है। यही नहीं हाथरस के पुलिस अधीक्षक, एक डीएसपी और संबंधित थाना प्रभारी को भी सस्पेंड कर दिया गया है।
आपको बता दे कि हाथरस की घटना पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कड़ा रुख अख्तियार करते हुए पुलिस अधीक्षक, तत्कालीन क्षेत्राधिकारी और प्रभारी निरीक्षक समेत कई जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया जिसके बाद इन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। इस मामले को लेकर विपक्ष ने सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था।
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने शुक्रवार को इस फैसले की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने हाथरस की घटना की जांच के लिए एसआईटी टीम गठित की थी। एसआईटी की रिपोर्ट मिलने के बाद लापरवाही और ढिलाई बरतने के आरोप में पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर, तत्कालीन क्षेत्राधिकारी राम शब्द, तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक दिनेश कुमार वर्मा, वरिष्ठ उपनिरीक्षक जगवीहर सिंह, हेड मुहर्रिर महेश पाल को निलंबित कर दिया गया है।
विनीत जायसवाल को हाथरस का नया पुलिस अधीक्षक बनाया गया है। इस मामले में सभी आरोपियों का नार्को परीक्षण कराने के निर्देश दिए गए हैं।
बताया जा रहा है कि मामले के लिए गठित एसआईटी टीम इस केस से जुड़े सभी लोगों के नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट करवाएगी। इसमें पुलिसकर्मी व पीड़ित परिवार के लोग भी शामिल होंगे। सीएम योगी ने हाथरस में बीते दिन के पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट तलब की है। जिला व पुलिस प्रशासन की भूमिका के बारे में पूरा ब्योरा मांगा गया है।
इससे पहले 14 सितंबर को हाथरस की लड़की के साथ गैंगरेप हुआ था। आरोप है कि गैंगरेप के बाद आरोपियों ने युवती की जीभ काट दी थी और रीढ़ की हड्डी तोड़ दी थी। पीड़िका की हालत खराब होने के बाद इलाज के लिए उन्हें दिल्ली ले जाया गया था। मंगलवार की सुबह उन्होंने सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। प्रदेश की पुलिस पर मामले में लीपापोती का आरोप लगा है।