उत्तर प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को सत्ता पक्ष ने राज्यपाल के अभिभाषण को सराहा, वहीं विपक्षी दल के सदस्यों ने अभिभाषण को सफेद कागज पर झूठ की काली स्याही से लिखी गई इबारत करार दिया। उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र की सोमवार को हंगामेदार शुरुआत हुई और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विपक्ष की नारेबाजी और शोरगुल के बीच अभिभाषण पढ़ा। पटेल ने सरकार की सराहना करते हुए कहा था कि सुशासन, सुरक्षा एवं विकास के मार्ग पर आगे बढ़ते हुए अपराध एवं भ्रष्टाचार के प्रति ‘कतई बर्दास्त नहीं’ करने की नीति के साथ शांति एवं सद्भाव का वातावरण सुनिश्चित किया जा रहा है। विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के लिए बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के सदस्य डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने प्रस्ताव दिया था जिसके बाद से चर्चा जारी है। शुक्रवार को प्रश्न काल और कार्य स्थगन के प्रस्तावों पर चर्चा के बाद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा शुरू कराई।
प्रदेश सरकार के प्राविधिक शिक्षा मंत्री और अपना दल (एस) के नेता आशीष सिंह पटेल ने शुक्रवार को कहा, ”हमारी सरकार सुशासन, सुरक्षा और विकास के मार्ग पर आगे बढ़ते हुए अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ सद्भाव का वातावरण सुनिश्चित कर रही है।” उन्होंने कहा, ”हमारी पार्टी आज भी कह रही है कि जातीय जनगणना होनी चाहिए, हम नेता प्रतिपक्ष और समाजवादी पार्टी के साथियों से बस इतना पूछना चाहते हैं कि चार बार सत्ता में रहने के दौरान क्या सपा के साथियों ने एक बार भी जातीय जनगणना का विषय उठाया।” उन्होंने राज्यपाल के अभिभाषण की सराहना की। नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने अभिभाषण पर चर्चा के दौरान बुधवार को कहा था कि ”हमने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी तो तीन माह में जातीय जनगणना होगी। हमारी फिर मांग है कि जातीय जनगणना होनी चाहिए।” यादव ने बीच में कुछ टोकने पर सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर से पूछा था कि आप किस दल के नेता हैं।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) दल नेता ओमप्रकाश राजभर ने शुक्रवार को सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि चार बार इनकी सरकार थी, लेकिन तब इनको जातिवार जनगणना की याद नहीं आयी, अब याद आ रही है। उन्होंने कहा कि हम मुख्यमंत्री से मिलते हैं तो इनको (सपा) बुरा लगता है, लेकिन राम गोपाल यादव (सपा महासचिव) उनसे मिलने जाते हैं तब तो इनको बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने कहा कि हम आठ माह अखिलेश यादव के साथ रहे पर वह हमारी पार्टी का नाम पूछ रहे हैं, उन्हें आठ माह में पता ही नहीं चला कि हम किस पार्टी के हैं। उन्होंने अभिभाषण के दौरान सपा के हंगामे पर तंज कसते हुए कहा कि राज्यपाल के भाषण को झूठ का पुलिंदा कहने से पहले पूरा सुनना चाहिए, तब तो आप चर्चा करेंगे। कांग्रेस दल की नेता आराधना मिश्रा ‘मोना’ ने कहा कि राज्यपाल का अभिभाषण सफेद कागज पर झूठ की काली स्याही से सरकार द्वारा लिखी गयी एक इबारत है। उन्होंने कहा कि इसमें कहीं कोई सच नहीं है।
मिश्रा ने कहा कि अभिभाषण में 13 बार लक्ष्य, तीन बार संभावना, आठ बार कार्य प्रगति पर और 11 बार गतिमान शब्द का इस्तेमाल किया गया, लेकिन कहीं ऐसा नहीं था कि यह कार्य पूरा हो गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आंकड़ों को गिनाने का कार्य भाजपा ने किया और इसमें राज्यपाल का कोई दोष नहीं है, इन लोगों ने जो बनाकर दे दिया उसे पढ़ना उनकी मजबूरी थी। इसके पहले निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) के नेता और प्रदेश सरकार के मत्स्य मंत्री डॉक्टर संजय निषाद ने राज्यपाल के अभिभाषण की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया और कहा कि हमारी सरकार सभी वर्गों की उन्नति के प्रति संकल्पित है। उन्होंने विपक्षी दलों पर प्रहार करते हुए कहा कि 20 वर्षों तक सरकार में रहने के बाद इन लोगों ने मछुआरा समाज के लिए कुछ नहीं किया।उन्होंने कहा कि फूलन देवी (सपा की दिवंगत सांसद, पूर्व दस्यु सुंदरी) की मां दर-दर की ठोकर खा रही हैं, उनको इन लोगों ने सांसद की मां का दर्जा नहीं दिया, लेकिन हम दिला रहे हैं।
जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के नेता रघुराज प्रताप सिंह ने अभिभाषण पर चर्चा के दौरान जनप्रतिनिधियों पर आंदोलन तथा धरना-प्रदर्शन के दौरान दर्ज किये जा रहे मुकदमों पर रोक लगाने की मांग की। सिंह ने कहा कि ”मैं हिंसा और उपद्रव का समर्थन नहीं कर रहा हूं, लेकिन शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन के लिए हमको (विधायकों) अदालत के कठघरे में खड़ा न होना पड़े, जनता की लड़ाई लड़ने के लिए हमको मुकदमे न झेलने पड़ें।” रघुराज ने कहा, ”कोई भी सरकार इतनी अच्छी नहीं होती, जितनी सत्तापक्ष बताता है और इतनी बुरी भी नहीं होती, जितनी विपक्ष बताता है।’’ बहुजन समाज पार्टी के नेता उमाशंकर सिंह ने राज्यपाल के अभिभाषण में संशोधन प्रस्ताव पर बल देते हुए कहा कि बाबा साहेब ने संविधान बनाते समय सत्ता पक्ष और विपक्ष की जिम्मेदारी तय की है।