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ADITYA L1 ने Sriharikota से Successfully सूरज की तरफ बढ़ाए कदम, जानिए क्या है सूर्य मिशन में खास…

स्पेस एजेंसी इसरो ने अपने नए प्रोजेक्ट आदित्य-एल1 को शनिवार 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया है, जो 125 दिन यानी चार महीने का समय लगा कर मौजूदा एल-1 प्वाइंट पर पहुंचेगा। जो सूरज की स्टडी कर कई रहस्यों से पर्दा उठायेगा।

चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग और लैंडिंग के बाद अब सूर्य मिशन आदित्य-एल1 नई ऊंचाईयों को छूने के लिए तैयार है। स्पेस एजेंसी इसरो ने अपने नए प्रोजेक्ट आदित्य-एल1 को शनिवार 11 बजकर 50 मिनट पर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया है, जो 125 दिन यानी चार महीने का समय लगा कर मौजूदा एल-1 प्वाइंट पर पहुंचेगा। जो सूरज की स्टडी कर कई रहस्यों से पर्दा उठायेगा।
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आदित्य एल-1 क्या स्टडी करेगा?
बता दें, एल-1 प्वाइंट धरती से 15 लाख किलोमीटर दूरी पर है, जो धरती से सूरज की दूरी का मात्र 1 प्रतिशत भी नहीं है। ऐसे में आप भी सोच रहे होंगे की चांद के बाद सूरज की स्टडी करने का मकसद क्या है? बता दें, आदित्य एल1 इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और पार्टिकिल फ़ील्ड डिटेक्टरों के माध्यम से सतह पर ऊर्जा और अंतरिक्ष की हलचलों को दर्ज करेगा।ये अंतरिक्ष के मौसम के बारे में अध्ययन करेगा और अंतरिक्ष की हलचलों का अध्ययन करेगा और उनके होने के कारणों को समझने की कोशिश करेगा जैसे सोलर विंड यानी सौर प्रवाह। इसरो के अनुसार, “इससे सौर हलचलों को करीब से अध्ययन करने और रियल टाइम में इसका अंतरिक्ष के मौसम पर क्या असर पड़ता है, इसके बारे में जानने में मदद मिलेगी।”
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सूरज की स्टडी की जरूरत क्यों?
मालूम हो, सूरज पृथ्वी के सबसे नजदीक का तारा है। सूरज से बहुत ज्यादा एनर्जी निकलती है, वहीं से बहुत गर्म सौर लपटें उठती रहती है। अगर इस तरह की लपटों की दिशा धरती की तरफ हो जाए, तो पृथ्वी के पास के वातावरण में बहुत असामान्य चीजें हो सकती है। तमाम स्पेसक्राफ्ट, सैटलाइट और कम्युनिकेशन सिस्टम खराब हो सकते हैं। ऐसी घटनाओं की समय रहते सूचना हालिस करना जरूरी होता है।


कैसे आया लैगरेंजियन पॉइंट का नाम?
बता दें, किसी भी ग्रह की  ORBIT के चारों ओर पांच ऐसी जगह होती है, जहां गुरुत्व बल और स्पेसक्राफ्ट ऑर्बिटल मोशन के इंटरैक्शन से एक स्टेबल लोकेश बनती है जहां सैटलाइट या स्पेसक्राफ्ट स्थिर रहते हुए काम कर सकता है। ऐसी पांच जगह को L-1,L-2, L-3, L4 और L-5 कहा जाता है, इनको लैगरेंजियन पॉइंट कहा जाता है। यह नाम इटली के 18वी सदी के वैज्ञानिक जोसेफ लुई लैंगरेज के नाम पर रखा गया है। वहीं आदित्य एल-1 को सन अर्थ सिस्टम के लैगरेंज प्वाइंट 1 के इर्दगिर्द हालो ऑर्बिट में पहुंचाया जाएगा। इसका फायदा ये होगा कि यहां से सूरज को लगातार देखा जा सकता है, जबकि इसमें ग्रहण वगैरह से कोई बाधा नहीं पड़ती है। 

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