स्कूल एक ऐसी जगह जहा खुद माता सरस्वती अपना वास करती हैं यहां हर एक बच्चे पर माता अपना हाथ रख उन्हें विद्या का दान देती हैं। स्कूल में यूनिफॉर्म का चलन इसलिए ही चलाया जाता हैं जिससे विद्या के इस घर में आने वाला बच्चे एक समान दिखे। कोई किसी से छोटा-बड़ा या अमीर-गरीब का भेद-भाव न कर सके। इसलिए ऐसा किया जाता हैं।
लेकिन ज़रा सोचिये क्या हो अगर हम आपसे कहे कि यहां तो बच्चो की यूनिफॉर्म ही नहीं बल्कि उनकी शक्ल भी मिलती हैं? आप भी सोच रहे होंगे न कि भला ये कैसा ही मज़ाक कर रहे हैं हम लेकिन असल माईनो में तो ये सच हैं। ये तस्वीरें जालंधर के पुलिस डीएवी स्कूल की हैं जहां एक नहीं बल्कि कई छात्र और छात्राएं हर रोज़ पढ़ने आते हैं। साथ ही इस स्कूल में करीब 76 छात्र ऐसे पढ़ने आते हैं जो आपस मे एक समान है मतलब जुड़वा है और तीन जोड़े ऐसे हैं जिनकी शक्ल हूबहू आपस मे एक दूसरे से मैल खाती है ओर यह सभी आपस में भी बहन है।
हाल ही में इस स्कूल जब दौरा किया गया तो इस बात का पता चला। वहां कई ऐसे छात्र थे जिनके चेहरे एक-दूसरे से मिलते थे. उनमें से कुछ बच्चों ने कहा कि जब भी हमसे कोई गलती होती है तो कभी-कभार हमशक्ल को कड़ी सजा मिलती है और दूसरा उस फटकार से बच जाता हैं। उनमें से कुछ ने तो अपनी कहानियाँ भी बतायीं कि कैसे स्कूल के टीचर्स ने उन्हें डाँटा और कैसे कड़ी सज़ा दी गयी।
स्कूल की प्रिंसिपल ने भी बताया किस्सा
दौरे के दौरान जब स्कूल की प्रिंसिपल से बात की गई तो तो उन्होंने बताया कि, “जब उन्हें पता चला कि उनके स्कूल में सत्तर से अधिक बच्चों की आकृतियाँ एक-दूसरे से मिलती हैं, तो उन्हें भी बहुत आश्चर्य हुआ और अब वे कहते हैं कि वे अब लेंगे इस बात को आगे बढ़ाया और अपने स्कूल का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज कराया.”
साथ ही सबसे ज़्यादा हैरानी की बात तो जब थी जब उन्होंने बताया कि, ‘उन्हें उनके टीचर्स ने भी कई बार बताया था कि वह कुछ बच्चों को डांटते हैं लेकिन जब उन्हें पता चला कि जिस बच्चे को उन्होंने डांटा था. वह वह नहीं बल्कि उनके जुड़वा बच्चे हैं तो उन्हें काफी हैरानी हुई.’