भारत का 'Mini Israel', जहां हिब्रू भाषा का होता है इस्तेमाल, हजारों की संख्या में रहते हैं इजरायली युवा - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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भारत का ‘Mini Israel’, जहां हिब्रू भाषा का होता है इस्तेमाल, हजारों की संख्या में रहते हैं इजरायली युवा

भारत विविधता से भरा हुआ देश है। यहां अजूबा कहे जाने वाला ताजमहल भी है और धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर भी। वहीं, उत्तराखंड में मौजूद औली को भारत का मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत के एक शहर को मिनी इजरायल भी कहा जाता है। हो सकता है कि आपने भारत का मिनी इजरायल शब्द पहली बार सुना होगा। लेकिन बता दें, कि भारत में वाकई ऐसी जगह है। यहां, हजारों की संख्या में इजरायली टूरिस्ट आते है। इनकी संख्या इतनी ज्यादा होती है कि अब वहां, सड़कों और दुकानों पर साइन बोर्डर्स पर भी हिब्रू में लिखा दिख जाएगा।

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कसोल है मिनी इजरायल

साल 2007 में फ्लिपिंग आउट नाम से डॉक्युमेंट्री बनी, जो मिनी इजरायल के इर्दगिर्द ही घूमती है। इसमें वैसे तो और भी क्षेत्र शामिल है लेकिन हिमाचल प्रदेश का कसोल इसमें सबसे ऊपर है। यहां छोटे-छोटे कमरों से लेकर होटल बने हुए है, जो इजरायली युवाओं को नशे से लेकर म्युजिक और उनके हिसाब का खाना भी मौजूद होता है। मालूम हो, कसोल को 70 के दशक से ही हिप्पी टाउन कहा जाता रहा है।

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बता दें, कसोल, ओल्ड मनाली, धर्मकोट, तोष और वशिष्ट जैसी पहाड़ी गांवों के करीब आधी आबादी इजारयली लोगों की रहती है। यहां तक कि अब कांगड़ा और कुल्लू की वादियों में भी हजारों की संख्या में ज्यूइश दिखने लगे है। ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि आखिर इजारयलियों के लिए भारत ही क्यों मनपसंदीदा देश है तो इसके कई कारण है, जैसे…

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स्पिरिचुअल क्लींजिंग

इजरायल में भारत को आध्यात्मिक ताकत की तरह भी देखा जाता है। हिब्रू में भारत को होदू कहते है। यहूदियों का विश्वास है कि भारत भले ही कई ईश्वरों को मानता हो लेकिन वहां की आध्यात्मिकता यहूदियों से मिलती-जूलती है। वे यहां आते है और स्पिरिचुअल क्लींजिंग करते है, जैसे मैडिटेशन।

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आर्मी की ट्रेनिंग के बाद शांति

इजरायल में सभी युवाओं के लिए नियम है कि उन्हें आर्मी ट्रेनिंग लेना जरूरी है। इसके बाद ही उन्हें कॉलेज में एडमिशन मिल सकता है। ये ट्रेनिंग काफी टफ होती है, ऐसे में पूरी ट्रेनिंग के समय युवा शांति की तलाश में पहाडों को मुफीद समझते है। ये एक तरह से मिलिट्री से सिविलियन जिंदगी को ट्रांजिशन है। बता दें, युवाओं को फिलिस्तीन चरमपंथियों से आमना-सामना होता रहता है, वहीं इजरायल के कई दुश्मन देश है, जिस कारण युवाओं के लिए वहां, ट्रेनिंग लेना जरूरी है।

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भारत ज्यादा सुरक्षित

इजरायल आक्रामक देशों से भरा पड़ा है। ऐसे में वहां के लोग सेफ ट्रैवल ऑप्शन के लिए भारत को चुनते है। क्योंकि बहुत से देश यहूदियों से भेदभाव करते है, जबकि भारत में ऐसा कुछ नहीं है। इसके अलावा पहाड़ी जगहों पर कम से कम ज्यादा से ज्यादा पैसों में रहने का बंदोबस्त हो सकता है।

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हालांकि देखने वाली बात है, शांति की तलाश में भारत आए युवाओं स्पिरिचुअल क्लींजिंग तो देखते ही है, साथ ही, वो यहां हिप्पी की तरह रहने और गांजा पीने के लिए आते थे। माना जाता है कि यहां उगने वाला गांजा दुनिया में सबसे ज्यादा खास होता है। आपको बता दें, ट्रैवल एसोसिएशन का कहना है कि हर साल लगभग 30 हजार इजारयली इस पहाड़ी इलाकों में आते है।

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