हिंदू धर्म के अनुसार,दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है। दिवाली का पर्व इस साल 14 नवंबर है तो इसलिए 13 नवंबर शुक्रवार को छोटी दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है। नरक चतुर्दशी के दिन छोटी दिवाली मनाते हैं।
मान्यताओं के मुताबिक,घर के बुजुर्ग व्यक्ति द्वारा छोटी दिवाली की रात को पूरे घर में एक दीपक जलाकर घुमाया जाता है फिर घर के बाहर कहीं दूर उस दीपक को रख दिया जाता है। दीपक जलाने का विधान इस दिन मुख्य द्वार पर होता है मगर छोटी दिवाली पर दीपक क्यों जलाते हैं क्या आप जानते हैं। इसके पीछे पौराणिक कथाएं हैं वह आपको बताते हैं।
दीया जलाया जाता है चांद न निकलने की वजह से
बता दें कि, अमावस्या की रात छोटी दिवाली से एक दिन पहले आती है। यमराज स्वामी अमावस्या तिथि के हैं। आसमान में चांद नहीं अमावस्या के दिन दिखता है। इसलिए कोई चांद ना निकलने के कारण भटक ना जाएं इसी वजह से घर के मुख्य द्वार पर एक बड़ा दीपक जलाते हैं।
ये है नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा
एक और पौराणिक कथा है उसके मुताबिक, एक धर्मात्मा रति देव नाम के थे। किसी भी तरह का पाप अपने जीवन में उन्होंने नहीं किया था मगर नरक लोक उन्हें मृत्यु के बाद मिला। इसे देखकर राजा ने कहा कि कोई भी पाप मैंने अपने जीवन में नहीं किया फिर भी मुझे नरक में स्थान आप ने क्यों दिया।
एक वर्ष का समय जब राजा ने मांगा
यमदूत ने जब यह बात सुनी तो उन्होंने कहा कि हे वत्स आपके द्वार से एक बार एक ब्राह्मण भूखा पेट लौटा था। उसी कर्म का फल यह आपका है। राजा ने यमराज की यह बात सुनकर उनसे उन्होंने एक वर्ष का मांगा। उसके बाद वह अपनी समस्या ऋषियों के पास गए। फिर उन्हें कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत ऋषियों ने उन्हें रखने के लिए कहा साथ ही यह भी बोला कि ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उनसे अपनी गलती की माफी मांगे।
दीप जलाने की परंपरा ऐसे शुरु हुई
यमदूत राजा को एक साल बाद फिर लेने आए और उन्हें नरक के बजाय इस बार स्वर्ग लोग ले गए। उसके बाद से ही दीप जलाने की परंपरा कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष से शुरु हुई। ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी तरह का पाप जो भूल से हुआ है उसकी क्षमादान मिल जाए।
ये है दीपक जलाने की विधि
घर का सबसे बड़ा सदस्य छोटी दिवाली के दिन एक बड़ा दीया जरूर जलाएं। दीपक को जलाकर पूरे घर में घूमाएं। फिर इस दीये को घर से बाहर जाकर दूर रख आएं। घर के अंदर ही घर के दूसरे सदस्य ही रें और इस दीपक को न देखें।