धरती पर रहने वालो के लिए कुदरत ने आज भी इतना खजाना छोड़ रखा हैं कि इंसान का पूरा जीवन बीत सके लेकिन फिर भी धरती पर रहने वालो के रोने नहीं खत्म होते हैं उनका कहना तो हमेशा यही होता हैं कि कैसे भगवान हमें ये भी दे दो ये भी दे दो। लेकिन हम धीरे-धीरे उसे अपने हिसाब से बदलते-बदलते बर्बाद करते जा रहे हैं। बिना इस डर के की जिस दिन धरती अपने प्रकोप पर आ गई उस दिन सब कुछ तबाह कर के डाल देगी।
लेकिन आज भी बहुत से लोगों क लिविंग स्टैंडर्ड काफी नीचे है। तो ज़रा अब सोचिए अगर कुछ ऐसा हो जाए कि धरती पर कोई गरीब बचे ही नहीं तो कितना अच्छा हो! वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में एक ऐसी ही चीज़ ढूंढ निकाली है, जो साक्षात कुबेर का खज़ाना है और इससे शायद इंसान को थोड़ी ही सही लेकिन कुछ तो संतुष्टि प्राप्त हो ही जाएगी।
अब बात करे डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक तो, अंतरिक्ष में मार्स और जुपिटर ग्रहों के बीच में एक ऐसा उल्कापिंड मौजूद है, जो बेहद ही कीमती है और इंसान की सोच से तो एकदम ही परे हैं। वैसे तो उल्का पिंड का एक टुकड़ा भी कीमती हो जाता है लेकिन ये एस्टेरॉयड वाकई किसी कीमती खनिजों से भरा हुआ है। और साथ ही साइंटिस्ट्स का अंदाज़ा तो ये भी कहता है कि अगर इसकी कीमती चीज़ें किसी तरह से धरती तक आ जाएं, तो हर आदमी करोड़पति बन सकता है। तो ज़रा सोचिये धरती के लिए ये कितना बडा खजाना साबित होगा।
कुबेर का खज़ाना हैं ये उल्कापिंड
साथ ही माना जा रहा है कि इस उल्कापिंड को आयरन, निकेल और सोने जैसी महंगी धातुओं ने ढका गया है और इसकी कीमत अगर धरती के हिसाब से लगाई जाए तो ये 10 हज़ार क्विंटिलियन अमेरिकन डॉलर में आएगी। साथ ही अब बात करे LadBible की रिपोर्ट के मुताबिक तो, $10,000,000,000,000,000,000,000 की वैल्यू वाला ये खज़ाना अगर हाथ लगा तो 8 बिलियन आबादी वाली दुनिया में हर किसी के पास 1 ट्रिलियन पाउंड यानि 1000 अरब से कम कुछ भी नहीं होगा तो सोचिये भगवान् ने क्या छप्पर फाड़ आपको देने का सोचा होगा। हम और आप तो सिर्फ सोच रहे हैं, स्पेस एजेंसी नासा ने इस पर मिशन को लॉन्च करने की तैयारी भी पूरी कर ली है।
अक्टूबर तक इस मिशन पर निकलेगा NASA
जी हाँ…! आपने बिलकुल सही सुना नासा ने एक ऐसा स्पेसक्राफ्ट विकसित कर लिया है, जो इस कीमती पत्थर के बारे में पता लगाएगा और इसे धरती वालो के कल्याण में प्रयोग करेगा। वैसे आपको बता दें कि मुफ्त के पैसे मिलने की खुशी में ज्यादा प्लानिंग मत करिएगा क्योंकि ये मिशन इस खज़ाने को लाने के लिए नहीं बल्कि ये जानने के किया जा रहा है कि आखिर इस तरह के प्लानेट कैसे बनते हैं। नासा की वेबसाइट के मुताबिक इस उल्कापिंड की संरचना कुछ अलग ही है, इसमें लोहे के कोर निकले हैं, जो हमारे सोलर सिस्टम के आगे ब्लॉक बना रहा है। साथ ही ये धरती से 2.5 बिलियन मील की दूरी पर है। इस पर जाने का मिशन पूरे 6 साल से भी ज़्यादा का ले सकता है। इसे केनेडी स्पेस सेंटर से 5 अक्टूबर को छोड़ा जाएगा।