आज से चैत्र नवरात्रि शुरू हो गए हैं। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन यानी आज कलश की स्थापना भी करी जाती है और इसी के साथ पहले दिन से ही दुर्गासप्तशी का पाठ भी शुरू हो जाता है। बता दें कि आज के दिन से नया संवत भी शुरू होता है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सृष्टि की रचना का दिन भी माना जाता है। तो चालिए आपको बताते हैं मां शैलीपुत्री की पूजाविधि,मंत्र और भोग के बारे में…
मां शैलपुत्री कौन हैं?
पौराणिक कथा के मुताबिक मां शैलपुत्री अपने पिछले जन्म में भगवान शिव की पत्नी और दक्ष की पुत्री थीं। एक बार की बात है जब दक्ष ने महायज्ञ करवाया उस समय इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित भी किया था,लेकिन भगवान शंकर को फिर भी नहीं बुलाया था। वहीं सती यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल हो रही थीं।
तब शिव भगवान ने उससे कहा था कि सारे देवताओं को बुलाया गया है,मगर उन्हें नहीं ऐसे में वहां जाना ठीक नहीं होगा। सती का प्रबल आग्रह देखकर भगवान शिव शंकर ने उन्हें यज्ञ में जाने के लिए कह दिया। जब सती घर पर पहुंची तब उन्होंने भगवान शिव के प्रति तिरस्कार का भाव देखा और दक्ष ने उनके प्रति अपमानजनक शब्द भी कहे।
इससे सती को बहुत दुख हुआ वो पति का अपमान सह नहीं पाई और यज्ञ की अग्नि से स्वयं को जलाकर भस्म कर लिया। यह सब कुछ होने के बाद भगवान भोलेनाथ ने उस यज्ञ को विध्वंस कर दिया है। इसके बाद यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाई।
इस तरह से करें शैलपुत्री की पूजा
नवरात्रि के पहले दिन स्नान कर लेने के बाद साफ सुथरे कपड़े पहने। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना ज्यादा शुभ माना जाता है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करने के साथ ही व्रत का संकल्पव लिया। कलश स्थापना कर लेने के बाद मां शैलपुत्री का ध्यान करें।
अब देवी मां को घी अर्पित करें क्योंकि ऐसा कर लेने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री का मंत्र पढ़े और बाद में स्तोत्र का पाठ व कवच भी पढऩा चाहिए। फिर शाम के वक्त देवी मां की आरती कर प्रसाद बांट दें और अब आप व्रत खोल लें।