देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने शनिवार को रक्षा लेखा विभाग दिवस (Defence Accounts Department Day) को संबोधित किया। इस दौरान रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में हमारी सरकार का जोर मेक इन इंडिया पर है।
कार्यक्रम को सम्बोधात करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज अपना 275वां स्थापना दिवस मना रहा है, और स्वतंत्र भारत अपना 75वां वर्ष पूरा किया है। आज देश, एक नए विश्वास और संकल्प के साथ एक नई दिशा की ओर बढ़ रहा है। आजादी के अमृत काल में हमारा लक्ष्य, 2047 तक भारत को एक सुपर पावर बनाना है।
सही समय पर होगा सही पेंशन का भुगतान
उन्होंने कहा कि रक्षा लेखा विभाग की यह पूरी कोशिश रहती है, कि वह देश के प्रत्येक सैनिक और पूर्व-सैनिक को उनके जीवनकाल में, और उनकी मृत्यु के उपरांत, उनके परिवारजनों को भी उत्तम सेवाएं प्रदान करे। रक्षा सेवाओं के लिए एक दूसरी सुविधा, जिस पर हमने बल दिया है, वह है-सही समय पर सही पेंशन का भुगतान। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस वर्ष रक्षा बजट के लिए 5.25 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जिसके लेखा-जोखा रखने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी रक्षा लेखा विभाग की है। विभाग वित्तीय विवेक के सिद्धांतों को अपनाते हुए रक्षा सेवाओं को उनके वित्तीय संसाधनों के प्रबंधन में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
रक्षा उत्पादन में हमारी सरकार का जोर
रक्षा मंत्रालय ने अपनी गतिविधियों के विभिन्न पहलु की प्रदर्शन और दक्षता लेखा परीक्षा के लिए, रक्षा सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है। यह कमेटी, लेखा के माध्यम से, मंत्रालय में हो रहे काम-काज को नए और सृजनात्मक नजरिए से देखेगी।उन्होंने कहा कि रक्षा उत्पादन में हमारी सरकार का सारा जोर Make in India पर है। ऐसे में विभाग की भूमिका और भी मायने रखती है कि वह द्रुत गति से निर्णय देकर, इस प्रक्रिया में और तेजी लाए। ये विभाग “प्रबल प्रणाली” पर कार्य कर रहा है, जो कि एक IT-सक्षम भुगतान और लेखा प्रणाली (enabled payment and accounting system) है। इसी प्रणाली के अंतर्गत “e-HRMS”, Defence Civilian Pay System एवं “DARPAN” जैसे systems develop किए गए हैं, जो संबंधित कार्यों को काफी आसान बनाएंगे।
सबसे पहला नियम वित्तीय सलाह
रक्षामंत्री ने कहा, रक्षा मंत्रालय में आप के तीन प्रमुख नियम हैं। पहला नियम है वित्तीय सलाह (financial advice ) देने का। दूसरा नियम है लेखा, बिलिंग और भुगतान का। और तीसरा नियम है आंतरिक लेखा का। इन तीनों ही नियमों को, मैं घर के उस मुखिया के नियम की तरह देखता हूं, जिसे घर में पैसे भी देने हैं, पैसे कहाँ और कैसे खर्च करने हैं इसकी सलाह भी देनी है, और बाद में पैसों का सदुपयोग कितना हुआ, इसकी पूछताछ भी करनी है। ऐसे में DAD के इन नियमों को मैं बहुत महत्वपूर्ण समझता हूं।