साल 2012 में दिल्ली में दंरिदों की हैवानियत का शिकार हुई निर्भया को सात साल चले संघर्ष के बाद आखिरकार इंसाफ मिला। शुक्रवार सुबह 5:30 बजे निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में चारों दोषी दरिंदो को दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई। सालों से अपनी बेटी को इंसाफ दिलवाने के लिये जंग लड़ रही निर्भया की मां को आज विजय हासिल हुई।
इस जीत के अवसर पर आशा देवी ने संतोष जताया। इस दौरान उन्होंने विजय चिन्ह दिखते हुए अपनी बहन सुनीता देवी और वकील सीमा कुशवाहा को गले लगाया। उन्होंने कहा जैसे ही मैं सुप्रीम कोर्ट से लौटी, मैंने अपनी बेटी की तस्वीर को गले लगाया और कहा कि आज आपको न्याय मिला।
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हमारी बेटी अब और नहीं लौटेगी, हमने यह लड़ाई शुरू की थी जब उसने हमें छोड़ दिया, यह संघर्ष उसके लिए था, लेकिन हम भविष्य में अपनी बेटियों के लिए इस लड़ाई को जारी रखेंगे। इस अपराध से पूरा देश शर्मसार हुआ, आज देश को न्याय मिला। मैं समाज के सभी लोगों, विशेषकर हमारी बेटियों और महिलाओं को धन्यवाद देना चाहती हूं।
आज हमें न्याय मिला, यह दिन देश की बेटियों को समर्पित है। मैं न्यायपालिका और सरकार को धन्यवाद देती हूं। साथ ही उन्होंने कहा देर से ही सही लेकिन इंसाफ मिला। आशा देवी ने कहा कि 20 मार्च को वह निर्भया दिवस के तौर पर मनाएंगीं।
बता दें कि दिल्ली में साल 2012 को 16 दिसंबर की रात को एक चलती बस में बर्बरता से 23 साल की छात्रा के साथ गैंगरेप किया गया। पीड़िता को निर्भया नाम से जाना गया। इस मामले में छह लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें एक नाबालिग शामिल था। वहीं छठे व्यक्ति राम सिंह ने मामले में सुनवाई शुरू होने के कुछ समय बाद खुदकुशी कर ली थी।
वहीं नाबालिग को 2015 में रिहा कर दिया गया था। उसने सुधार गृह में तीन साल का समय बिताया था। लेकिन अब निर्भया को इंसाफ मिल गया। निर्भया के चारों दोषियों को शुक्रवार सुबह 5.30 बजे दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई।