निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र की अपील पर चारों दोषियों को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने प्राधिकारियों को चारों दोषियों की मौत की सजा पर अमल के लिए नई तारीख निर्धारित करने के लिए निचली अदालत जाने की छूट भी प्रदान की है।
केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन दोषियों की मौत की सजा पर अमल ‘खुशी’ के लिए नहीं है और प्राधिकारी तो कानून के आदेश पर ही अमल कर रहे हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विशेष खंडपीठ को एक चार्ट सौंपा कहा कि इसमें सभी दोषियों की विस्तृत जानकारी है।
तुषार मेहता ने कहा कि दोषी रणनीति के तहत केस को लंबा खींच रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोषियों को एक साथ के बजाय अलग-अलग से फांसी पर लटकाने की इजाजत दी जाए, क्योंकि तीन दोषी मुकेश, विनय और अक्षय के सभी न्यायिक उपचार खत्म ही चुका है।
सॉलिसिटर जनरल ने यह भी कहा,”रेप के आरोपियों का एनकाउंटर होता है तो जनता खुशी मनाती है। हम इसका समर्थन नहीं करते, लेकिन इससे एक बात सामने आती है कि लोगों का न्यायिक प्रणाली के प्रति विश्वास कम हो रहा है।” न्यायमूर्ति भूषण ने कहा,”अगर हम केंद्र के इस पहलू को तय करेंगे तो मामले में और देरी होगी।
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अलग अलग याचिका दाखिल होगी। इससे बेहतर होगा कि आप निचली अदालत में जाए और डेथ वारंट जारी करने की मांग करे।” दरअसल, केंद्र ने इन चारों दोषियों को फांसी पर लटकाने पर रोक लगाने के खिलाफ उसकी याचिका खारिज करने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।