पटना : बिहार के सीतामढ़ी में पिछले 20 अक्टूबर को हुई दो समुदायों के बीच हुई हिंसक झड़प में जैनुल अंसारी (82) को जलाकर मार दिया था। इस घटना के बाद पुलिस के रवैये पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। न तो इस मामले में कोई अब तक गिरफ्तार हुआ है और न ही परिवार को पुलिस पर भरोसा है। आरोप अपराधियों को बचाने का भी लग रहा है। बताया जा रहा है कि पिछले महीने हिंसा के दौरान उन्मादी भीड़ ने पहले जैनुल अंसारी का गला रेता और उसके बाद चौक पर जिंदा जला दिया।
परिवार को इस घटना का पता तीन दिन बाद चला। दरअसल, हिंसा के दौरान सीतामढ़ी में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी, लेकिन हत्या के तीन दिन बाद जब एक घंटे के लिए इंटरनेट सेवा बहाल की गई तब जैनुल अंसारी के परिजनों को एक वायरल फोटो मिला, जो उनकी हत्या का था। कहा यह भी जा रहा है कि प्रशासन के दबाव की वजह से जैनुल अंसारी के परिजनों को उनका शव पैतृक गांव से 75 किलोमीटर दूर मुज़फ़्फ़रपुर में दफ़नाना पड़ा।
दूसरी तरफ, इस पूरे मामले में सरकार ने परिजनों को पांच लाख की सहायता राशि दी है, लेकिन पुलिस अभी तक किसी अपराधी को गिरफ़्तार नहीं कर पाई है। इस घटना के बाद से बिहार में कानून व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘सुशासन’ के तमाम दावों पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।